ट्राई केपिसिटी फ़ीस, बेसिक सर्विस टायर और डिस्काउंट ऑफ़र को विनियमित नहीं कर सकता : केरल हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
28 Feb 2020 8:30 AM IST
केरल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नेटवर्क केपिसिटी फ़ीस, बेसिक सर्विस टीयर और अपने वितरकों को दिए जाने वाले डिस्काउंट के बारे में ट्राई ने जो नियमों में बदलाव की है उसको चुनौती दी गई है।
इस याचिका में कहा गया है कि ट्राई के कार्यों पर ग़ौर करने से स्पष्ट है कि वह सेवा प्रदाताओं के बीच अंतरसंबंधों को विनियमित कर सकता है। पर उसको यह अधिकार नहीं है कि वह उपभोक्ताओं पर कोई फ़ी लगाए।
यह अपील केरल के तीन निवासियों ने दायर की है जो केबल टीवी नेटवर्क के उपभोक्ता हैं। इन लोगों ने जिन बातोंको चुनौती दी है उसमें शामिल हैं -
केपिसिटी फीस
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि Telecommunication (Broadcasting and Cable) Services Interconnection (Addressable Systems) Regulations 2017 में इस बात का ज़िक्र नहीं किया गया है कि नेटवर्क केपिसिटी फ़ीस लगाई जाएगी, इस बात का ज़िक्र नहीं है। इसलिए विनियमन क़ानून में नेटवर्क फ़ीस वसूलने का अधिकार नहीं दिया गया है और इसलिए ऐसा बिना किसी क़ानून के किया जा रहा है।
बेसिक सर्विस टीयर
"बेसिक सर्विस टायर" फ़्री-टू-एयर चैनलों का पैकेज है जो केबल ऑपरेटर अपने उपभोक्ताओं को ऑफ़र करता है।
इस तरह के बेसिक सर्विसेज़ को लेने या नहीं लेने का विकल्प उपभोक्ता का क़ानूनी अधिकार है पर जिसे ऑफ़र करना डिस्ट्रिब्युटर के लिए आवश्यक है। (देखें केबल टीवी नेटवर्क्स विनियमन अधिनियम, 1995 की धारा 4A)
याचिकाकर्ता ने कहा कि 2020 में इसमें जो संशोधन हुए हैं उसमें इस विकल्प को हटा दिया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा, "केबल टीवी नेटवर्क्स (विनियमन) अधिनियम, 1995 के क़ानूनी प्रावधानों को एक्सटेंशन P6 से हटाया या संशोधित नहीं किया जा सकता क्योंकि ट्राई द्वारा जारी इग्ज़ेक्युटिव निर्देश, और वह भी भारतीय दूरसंचार विनियमन प्राधिकरण, 1997 के तहत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए।"
ब्रॉडकास्टर को दी जाने वाली छूट
और अंत में, याचिकाकर्ताओं ने ब्रॉडकास्टर कितना छूट दे सकते हैं इसकी सीमा तय करने के ट्राई के निर्देश पर भी आपत्ति की है।
हालाँकि, Telecommunication (Broadcasting and Cable) Services Interconnection (Addressable Systems) Regulations 2017 के विनियमन 7 (4) के तहत ब्रॉड्कैस्टर द्वारा दिए जानेवाले छूटों की सीमा तय करने का प्रावधान है।
इस बारे में कहा गया है, ब्रॉडकास्टर के अधिकारों पर इस तरह से पाबंदी लगाना याचिकाकर्ताओं को ब्रॉडकास्टर से प्राप्त होने वाले लाभों को प्राप्त करने के अधिकारों पर पाबंदी लगाना है और इस तरह से यह अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस तरह का भारी फेरबदल किसी क़ानून के द्वारा ही हो सकता है इग्ज़ेक्युटिव आदेश के द्वारा नहीं।
याचिकाकर्ताओं की पैरवी संतोष मैथ्यू, अरुण थोमस, जेंनिस स्टीवन, विजय वी पॉल, कार्थिका मारिया, वीणा रवींद्रन, अनिल सिबैस्टीयन पुलिक्केल, दिव्या सारा जॉर्ज, जैसी एल्ज़ा जो, आबि बेनी अरीक्कल और ली रेचल निनान ने की।