कोरोना महामारी के कारण आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे अधिवक्ताओं को पांच साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता देने की मांग, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

6 Jun 2021 10:35 AM GMT

  • कोरोना महामारी के कारण आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे अधिवक्ताओं को पांच साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता देने की मांग, दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

    दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है कि दिल्ली बार काउंसिल में नामांकित अधिवक्ताओं को ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता दी जाए ताकि यह अधिवक्ता कोरोना महामारी के समय अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करते हुए सम्मान के साथ जीवित रह पाएं। इसी के साथ अपने बच्चों की स्कूल फीस और अपने विभिन्न ऋण/क्रेडिट कार्ड की लंबित ईएमआई आदि का भुगतान करने में भी सक्षम बन पाएं।

    दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले विभिन्न वकीलों द्वारा दायर इस याचिका में वित्त मंत्रालय के जरिए भारत संघ, जीएनसीटीडी, दिल्ली बार काउंसिल और भारतीय रिजर्व बैंक को प्रतिवादी बनाया गया है।

    यह कहते हुए कि महामारी एक बड़ी वित्तीय कठिनाई लेकर आई है, याचिका में कहा गया है कि अधिकांश अधिवक्ता जो मध्यम वर्गीय परिवार और निम्न मध्यम वर्ग के परिवार से संबंध रखते हैं, वे पिछले साल से लेकर अभी तक न्यायालयों के खुलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जब उनको कोर्ट खुलने की बहुत ज्यादा उम्मीद थी तो उसी समय कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण फिर से अदालतों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया।

    याचिका में कहा गया है कि,

    ''डेढ़ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी अदालतें अभी भी अपने सामान्य कामकाज के लिए बंद हैं, जिसके कारण अब अधिवक्ता भी अपने ऋण की ईएमआई जैसे कि घर, कार, व्यक्तिगत ऋण व क्रेडिट कार्ड और अपने बच्चों की स्कूल फीस आदि का भुगतान करने की असमर्थ हैं। जिसके कारण अधिकांश स्कूलों ने उनके बच्चों को पढ़ाने से इनकार कर दिया है। स्कूल उन्हें बच्चों की स्कूल फीस का समय पर भुगतान करने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जिसका भुगतान करने में अधिवक्ता समक्ष नहीं हैं क्योंकि मार्च 2020 से आज तक उनका कामकाज पूरी तरह से बंद है।''

    इसके अलावा, यह भी बताया गया कि दिल्ली बार काउंसिल ने 3.5 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर अपने मुख्य कार्यालय के पुनर्विकास के लिए 10 फरवरी 2021 को एक निविदा जारी की थी। इस तथ्य का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है किः

    ''इस समय जब सभी अधिवक्ता वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं, प्रतिवादी संख्या 3 के मुख्य कार्यालय के पुनर्विकास की कोई आवश्यकता नहीं है और इस धन का उपयोग अधिवक्ताओं को इस वित्तीय संकट से उबारने के लिए किया जाना चाहिए।''

    कहा गया है कि कानूनी पेशे की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिवादियों द्वारा संयुक्त रूप से या अलग-अलग ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता देने की आवश्यकता है ताकि अधिवक्ता बड़े पैमाने पर समाज के सामने अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रख सकें।

    याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाओं की गई हैंः

    - आवासीय पते या मतदाता पहचान पत्र के आधार पर भेदभाव किए बिना बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में नामांकित अधिवक्ताओं को पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता ब्याज मुक्त ऋण के रूप में प्रदान करने के लिए प्रतिवादियों के खिलाफ परमादेश या किसी अन्य उपयुक्त रिट या निर्देश की प्रकृति में एक उपयुक्त रिट, आदेश या निर्देश जारी करें।

    - प्रतिवादियों को पांच साल की अवधि के लिए प्रत्येक अधिवक्ता को 5,00,000 रुपये (पांच लाख) का ब्याज मुक्त ऋण देने का निर्देश दें।

    - प्रतिवादियों को निर्देश दें कि वे कोरोना महामारी के इस असाधारण समय में अधिवक्ताओं की रक्षा करें। वहीं इस महामारी के परिणामस्वरूप पूरी अदालत प्रणाली पर पड़े असर को देखते हुए माननीय न्यायालय उन हजारों युवा वकीलों के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए उचित आदेश पारित करने की कृपा करें, जो इस समय दिन-प्रतिदिन के खर्चों के लिए आजीविका के पैसे की कमी का सामना कर रहे हैं।

    केस का शीर्षकः रितेश तंवर व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य

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