केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के जुहू बंगले को बीएमसी नोटिस के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

21 March 2022 7:40 AM GMT

  • केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के जुहू बंगले को बीएमसी नोटिस के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका

    मुंबई के आलीशान इलाके जुहू में स्थित एक बंगले के खिलाफ मुंबई नागरिक निकाय (म्यूनिसिपल सिविक बॉडी) द्वारा पारित आदेशों को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। इस बंगले में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और उनका परिवार रहता है।

    बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने जुहू में आदिश बंगले के खिलाफ आदेश जारी कर मालिकों/कब्जाधारियों को बंगले के अवैध विस्तार को ध्वस्त करने को कहा है। यदि मालिक/कब्जेदार ऐसा करने में विफल रहते हैं तो बीएमसी आगे बढ़कर उक्त विध्वंस को अंजाम देगी और मालिकों/कब्जेदारों से लागत वसूल करेगी।

    आर्टलाइन प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा दायर याचिका में राणे और उनके परिवार के शेयर रखने वाली कंपनी के साथ विलय कर दिया गया था। इसमें कहा गया कि नोटिस कंपनी आर्टलाइन प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर जारी किए गए है। हालांकि, बंगले में राणे और उनका परिवार रहता है।

    जस्टिस अमजद सैयद और जस्टिस अभय आहूजा की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए अधिवक्ता अमोघ सिंह द्वारा याचिका का उल्लेख किया गया। याचिका को मंगलवार, 22 मार्च को सुनवाई के लिए रखा गया।

    याचिका में बीएमसी द्वारा जारी नोटिस और आदेशों को विकृत और अवैध बताते हुए रद्द करने की मांग की गई। याचिका के अनुसार, किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है और पूरा परिसर अनुमेय फ्लोर-स्पेस-इंडेक्स सीमा के भीतर है। यह उस क्षेत्र की अनुमेय सीमा है जिसे किसी विशेष भूमि पर बनाया जा सकता है।

    याचिका के अनुसार कुछ मीडिया रिपोर्टों के बाद बंगले के लिए एक निरीक्षण नोटिस जारी किया गया। इसके बाद बीएमसी अधिकारियों द्वारा परिसर का निरीक्षण किया गया। इसके बाद 25 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसमें इस बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया कि कैसे परिसर के उपयोग में परिवर्धन/परिवर्तन स्वीकृत योजनाओं के उल्लंघन में नहीं है।

    नारायण राणे की पत्नी नीलम और आर्टलाइन के पूर्व निदेशक उनके बेटे नीलेश ने नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि नोटिस यह इमारत के नौ साल पूरा होने के बाद जारी किया गया। इस नोटिस को दुर्भावनापूर्ण इरादे से जारी किया गया।

    निदेशकों को बीएमसी अधिकारी के समक्ष सुनवाई के लिए बुलाया गया। इसके बाद उन्हें नोटिस का जवाब देने का समय मिला। उन्हें 10 मार्च 2022 की तारीख दी गई। हालांकि इस बीच चार मार्च को एक और नोटिस जारी किया गया।

    कंपनी ने परिसर के उन हिस्सों के नियमितीकरण के लिए भी एक आवेदन दिया, जो कथित रूप से भुगतान के उल्लंघन में है। तर्क दिया गया कि कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। दूसरे नोटिस पर भी विस्तृत जवाब दिया गया।

    संबंधित बीएमसी अधिकारी ने अंततः दोनों नोटिसों पर अलग-अलग आदेश पारित किए मालिकों / कब्जाधारियों को आदेश प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर अनधिकृत काम को हटाने के लिए कहा। ऐसा नहीं करने पर निगम उन हिस्सों को ध्वस्त कर देगा और मालिकों / कब्जाधारियों से शुल्क वसूल करेगा।

    Next Story