हिजाब विवाद: सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड लागू करने की मांग
LiveLaw News Network
13 Feb 2022 2:07 PM IST
कर्नाटक में कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ विरोध की पृष्ठभूमि में कानून के एक छात्र ने केंद्र और राज्यों में रजिस्टर्ड और राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों (Educational Institutions) में एक समान ड्रेस कोड (Common Dress Code) सख्ती से लागू करने के निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। विधि छात्र ने अपनी याचिका में सामाजिक समानता सुरक्षित करने, गरिमा सुनिश्चित करने और बंधुत्व, एकता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए दिशा निर्देश देने की मांग की है।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर जनहित याचिका में केंद्र को एक न्यायिक आयोग या एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्देश देने की मांग की गई है, जो सामाजिक-आर्थिक न्याय और समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के मूल्यों को विकसित करने और भाईचारे की भावना, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएगी।
याचिका में कहा गया है कि
" शैक्षणिक संस्थान धर्मनिरपेक्ष सार्वजनिक स्थान हैं और ज्ञान और ज्ञान रोजगार, अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए हैं, न कि आवश्यक और अनावश्यक धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के लिए हैं।"
याचिका में एक वैकल्पिक राहत के रूप में भारत के विधि आयोग को तीन महीने के भीतर सामाजिक समानता को सुरक्षित करने और भाईचारे की भावना और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए एक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता के अनुसार वर्तमान मामले की कार्यवाही का कारण 10.2.2022 को उत्पन्न हुआ, जब कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी के कई क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन हुए।
याचिकाकर्ता के अनुसार, शैक्षणिक संस्थानों के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए सभी स्कूल-कॉलेजों में एक कॉमन ड्रेस कोड लागू करना बहुत आवश्यक है, अन्यथा यह भी हो सकता है कि नागा साधु आवश्यक धार्मिक अभ्यास का हवाला देते हुए कॉलेजों में प्रवेश लें और बिना कपड़ों के क्लास में शामिल हो सकते हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार हमारे गणतंत्र की स्थापना के बाद से सभी को समान अवसर के प्रावधानों के माध्यम से लोकतंत्र के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने के लिए सार्वभौमिक शिक्षा की भूमिका अहम मानी गई है और जातिवाद, सांप्रदायिकता, वर्गवाद और कट्टरवाद के सबसे बड़े खतरे को कम करने के लिए एक सामान्य ड्रेस कोड आवश्यक है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि कॉमन ड्रेस कोड एकरूपता लाता है और एकरूपता से समानता की भावना आती है। इस प्रकार शैक्षणिक संस्थानों में कॉमन ड्रेस कोड महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये ऐसे स्थान हैं जहां किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
केस शीर्षक: निखिल उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य