दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका में इतिहास की किताबों से ताज महल के निर्माण पर 'गलत ऐतिहासिक तथ्य' हटाने की मांग

Sharafat

2 Nov 2023 4:30 PM IST

  • ताज महल, आगरा

    ताज महल

    स्कूलों और कॉलेजों में इतिहास की किताबों से शाहजहां द्वारा ताज महल के निर्माण से संबंधित कथित "गलत ऐतिहासिक तथ्यों" को हटाने की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।

    मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई कर सकती है।

    यह याचिका एक सुरजीत सिंह यादव ने दायर की है, जो एनजीओ हिंदू सेना एस के अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि राजा मान सिंह के महल को ध्वस्त करने और उसी स्थान पर ताज महल के नए सिरे से निर्माण का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है।

    जनहित याचिका में उत्तरदाताओं में केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार और साथ ही उत्तर प्रदेश राज्य शामिल हैं।

    यादव ने एएसआई को 31 दिसंबर, 1631 को राजा मान सिंह के महल सहित ताज महल की उम्र के बारे में जांच करने और अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की मांग की है।

    राजा मान सिंह के महल का "सही इतिहास" प्रकाशित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की भी मांग की गई है, जिसे शाहजहाँ ने 1632 से 1638 तक पुनर्निर्मित किया था, यह दावा करते हुए कि उक्त तथ्यों को अब्दुल हामिद लाहौरी और काज़विनी द्वारा लिखित पादशाहनामा नामक पुस्तक से निकाला जा सकता है।

    यादव का दावा है कि याचिका में कथित तथ्यों की जानकारी का स्रोत सार्वजनिक रिकॉर्ड, आरटीआई आवेदन, वेबसाइट और ऐतिहासिक किताबें हैं।

    याचिका में कहा गया,

    “क्योंकि लोगों को ताज महल के निर्माण के इतिहास से संबंधित सही तथ्यों और जानकारी के बारे में जानने का अधिकार है और इसका खुलासा न करना या सार्वजनिक डोमेन में ताज महल के निर्माण से संबंधित गलत तथ्य डालना लोगों को वंचित कर देगा।''

    यह कहा गया है कि एएसआई ने अपनी वेबसाइट पर "गलत जानकारी" दी है कि 1648 में ताज महल का निर्माण पूरा होने में लगभग 17 साल लगे थे। यादव ने दावा किया है कि मुमताज महल का मकबरा 1638 तक लगभग पूरा हो गया था।

    याचिका में कहा गया है कि इसलिए ताज महल को बनाने में 17 साल का समय लगने का प्रचार करने वाला ऐतिहासिक तथ्य तथ्यात्मक रूप से गलत है।

    केस टाइटल : सुरजीत सिंह यादव बनाम भारत संघ और अन्य।

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