पंजाब एंड हाईकोर्ट को पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सैनी की याचिका पर सुनवाई में 'अनुचित जल्दबाजी' दिखाने का आरोप लगाने वाला ई-मेल प्राप्त हुआ
LiveLaw News Network
23 Aug 2021 4:22 AM GMT
![P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man P&H High Court Dismisses Protection Plea Of Married Woman Residing With Another Man](https://hindi.livelaw.in/h-upload/images/750x450_punjab-and-haryana-hcjpg.jpg)
Punjab & Haryana High Court
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को गुरुवार को एक मेल प्राप्त हुआ, जिसमें न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी पर "अनुचित जल्दबाजी" का आरोप लगाया गया है। यह मेल तब आया जब वह सैनी की रिहाई के लिए पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
कोर्ट ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए गिरफ्तारी को स्पष्ट रूप से अवैध बताते हुए राज्य सतर्कता ब्यूरो की हिरासत से उनको रिहा करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की एकल पीठ ने कथित धोखाधड़ी, जालसाजी, भ्रष्टाचार मामले में सतर्कता ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए जाने के 24 घंटे बाद ही उनकी रिहाई का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति त्यागी ने आदेश सुनाते हुए कहा कि सुनवाई के दौरान अदालत की आधिकारिक ई-मेल आईडी पर एक ई-मेल प्राप्त हुआ, जिसे हरविंदर पाल सिंह, पीपीएस, जांच अधिकारी, प्राथमिकी सं. 11 दिनांक 17.09.2020, पीएस एफएसआई, विजिलेंस ब्यूरो, पंजाब के नाम से भेजा गया है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सतर्कता ब्यूरो ने सैनी को धोखाधड़ी, जालसाजी, भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों के लिए 2020 में दर्ज एक मामले के संबंध में गिरफ्तार किया था और न्यायमूर्ति त्यागी के गुरुवार के आदेश के अनुसार पीठ के पूर्व डीजीपी की पत्नी द्वारा दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की अनुमति देने बाद सैनी को शुक्रवार (दोपहर 2 बजे) तड़के सतर्कता ब्यूरो की हिरासत से रिहा कर दिया गया।
मेल ऐसा लिखा गया है कि सीआरएम-एम-45242-2018 में केस नंबर सीआरएम-25750-201 के साथ-साथ मुख्य मामले यानी सीआरएम-एम-45242 (सभी सुमेध सैनी से संबंधित) न्यायमूर्ति त्यागी की पीठ से किसी अन्य समन्वय पीठ को ट्रांसफर किया जाए क्योंकि न्यायमूर्ति त्यागी की पीठ द्वारा अनुचित हड़बड़ी दिखाई जा रही है और जिस तरीके से राज्य को अपना मामला पेश करने का कोई अवसर नहीं दिया जा रहा है।
आदेश ने कहा गया कि
"इस न्यायालय से मामले को वापस लेने के लिए किसी भी आदेश को पारित करने के संबंध में कोई संचार नहीं था। पक्षकारों के वकील द्वारा इनकार करने का कोई अनुरोध नहीं किया गया था। यहां तक कि कहा गया कि ई-मेल निर्देश पर प्रतिवादियों की संख्या 1 से 4 तक नहीं भेजा गया था।"
बेंच ने इस पृष्ठभूमि में नोट किया कि मामले की सुनवाई में जल्दबाजी के संबंध में उक्त ई-मेल कास्टिंग आक्षेप के संबंध में उचित कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित है, यह महसूस किए बिना कि कोई भी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका गैरकानूनी हिरासत का एक गंभीर मुद्दा उठाती है, जिसे अविलंब सुनवाई की जाए।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एक शीर्ष सतर्कता अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पुष्टि की कि हरविंदर पाल सिंह ने "पूर्वाग्रह" का आरोप लगाते हुए पंजाब एंड हरियाणा कोर्ट को ईमेल भेजा था।
केस का शीर्षक - शोभा बनाम पंजाब राज्य एंड अन्य