"पेशकार सुपाठ्य आदेश लिखने के लिए बाध्य हैं": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी

LiveLaw News Network

31 Jan 2022 3:09 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सुपाठ्य आदेश लिखने में विफल होने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।

    कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों में कुछ आदेश, बयान और कार्यालय रिपोर्ट खराब लिखावट में लिखे गए हैं कि उन्हें ठीक से नहीं पढ़ा जा सकता है।

    उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2021 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि पेशकारों/न्यायालय के पाठकों का कर्तव्य है कि वे न्यायालय के आदेश को सुपाठ्य तरीके से लिखें, ऐसा न करने पर इसे कदाचार माना जा सकता है।

    इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य भर के जिला न्यायाधीशों को उच्च न्यायालय द्वारा आदेश-पत्र लिखने वाले पेशकारों/पाठकों को सरकारी निर्देश जारी करने का निर्देश दिया गया था कि आदेश को इस तरह से लिखा जाना चाहिए कि ठीक से पढ़ा जा सकता है।

    कोर्ट ने अपने आदेश में कोर्ट के सीनियर रजिस्ट्रार को हाईकोर्ट के आदेश को यूपी राज्य के सभी जिला जजों को सर्कुलेट करने का भी निर्देश दिया था।

    न्यायालय के उस आदेश के अनुसरण में अब उच्च न्यायालय के महापंजीयक ने 29 जनवरी को प्रशासनिक आदेश जारी किया है। यह आदेश सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया है।

    आदेश में कहा गया है,

    "कोर्ट ने देखा है कि अधीनस्थ न्यायालयों में कुछ आदेश, बयान और कार्यालय रिपोर्ट इतने खराब हाथ से लिखे गए हैं कि उन्हें ठीक से पढ़ा नहीं जा सकता है। कुछ आदेश, बयान और कार्यालय रिपोर्ट भी पढ़ने योग्य नहीं हैं। इस संबंध में माननीय न्यायालय यह निर्देश दे रहा है कि पेशकार/पाठक आदेश को सुपाठ्य तरीके से लिखने के लिए बाध्य हैं, ऐसा न करने पर इसे एक कदाचार माना जा सकता है।"

    आगे कहा गया है कि सभी बयान दर्ज किए जाएं। साथ ही, आदेश पत्रक पर लिखी गई कार्यालय रिपोर्ट स्पष्ट और सुपाठ्य लिखावट में की जानी चाहिए। यदि कोई आदेश, विवरण या कार्यालय की रिपोर्ट, आदेश-पत्र में इस तरह से लिखी जाती है जिसे पढ़ा नहीं जा सकता है, तो गलती करने वाला अधिकारी को उनके स्पष्टीकरण के लिए एक नोटिस जारी किया जाए, जिस पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानून के अनुसार विभागीय कार्यवाही शुरू की जा सकती है। इसके साथ, मामला संख्या 4203 ऑफ 2021 (यू/एस 4 ) 82/378/407) (लखनऊ खंडपीठ में) में माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 28.10.2021 की एक ई-प्रति संलग्न है।

    आदेश में यह भी कहा गया है कि आपसे अनुरोध है कि माननीय न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का सभी संबंधितों द्वारा अक्षरश: पालन करने की कृपा करें। आगे, आपसे अनुरोध है कि सभी संबंधितों द्वारा उपरोक्त निर्देशों का सख्ती से अनुपालन के लिए अपने संबंधित जिले के सभी प्रधान न्यायाधीशों, परिवार न्यायालयों और वाणिज्यिक न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों, एमएसीटी और एलएआरआरए को पत्र तुरंत फॉरवर्ड करें।

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:




    Next Story