निजी व्हाट्सएप अकाउंट कोई सार्वजनिक स्थान नहीं है, व्यक्तिगत एकाउंट पर अपमानजनक संदेश आईपीसी की धारा 294 के तहत अपराध नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

15 March 2020 12:46 PM GMT

  • निजी व्हाट्सएप अकाउंट कोई सार्वजनिक स्थान नहीं है, व्यक्तिगत एकाउंट पर अपमानजनक संदेश आईपीसी की धारा 294 के तहत अपराध नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट

    यदि दो व्यक्तियों के निजी खातों पर संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है तो व्हाट्सएप को एक सार्वजनिक स्थान नहीं कहा जा सकता। यदि इन संदेशों को व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट किया गया था, तो उस स्थिति में इसे सार्वजनिक स्थान के रूप में माना जा सकता, क्योंकि समूह के सभी सदस्यों के पास यह संदेश पहुंच जाते हैं।

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के तहत मामला बनाने के लिए व्हाट्सएप के निजी खाते पर अपमानजनक संदेश भेजने को सार्वजनिक स्थान पर अश्लील शब्द कहने के समान नहीं माना जाएगा।

    जस्टिस टी.वी नलवाडे और जस्टिस एम.जी सेवलिकर की डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर दो व्यक्तियों के व्यक्तिगत या निजी खातों पर संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है तो व्हाट्सएप एक सार्वजनिक स्थान नहीं हो सकता है।

    आरोपी के खिलाफ उसकी पत्नी ने ही शिकायत दायर की थी,जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि उसने उसे वेश्या कहकर व्हाट्सएप पर एक संदेश भेजा और कहा कि वह वेश्यावृत्ति का धंधा करके पैसा कमाती है, इसलिए आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 500, 506 और 507 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

    आरोपी का तर्क यह था कि व्हाट्सएप के निजी खाते पर व्यक्तिगत संदेश भेजने को सार्वजनिक स्थान पर शब्दों का उच्चारण या सार्वजनिक स्थान पर कुछ कहने के समान नहीं माना जा सकता।

    आईपीसी की धारा 294 का उल्लेख करते हुए, पीठ ने कहा कि आवश्यक सामग्री में से एक यह है कि सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कृत्य किया जाना चाहिए, परंतु इस मामले में किसी भी सार्वजनिक स्थान पर शब्दों का उच्चारण नहीं किया गया है।

    लेकिन कथित अश्लील संदेश सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप पर भेजे गए हैं।

    व्हाट्सएप की तरफ से सुरक्षा और एन्क्रिप्शन को लेकर प्रकाशित एक दस्तावेज का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि-

    इस प्रकार, वेबसाइट पर प्रकाशित दस्तावेज स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को भेजे गए व्हाट्सएप संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं, जिसका अर्थ है, केवल संदेश भेजने वाला और संदेश प्राप्त करने वाला संदेश पढ़ सकता है।

    यह भी दावा किया गया है कि बीच में कोई भी इन संदेशों को नहीं पढ़ सकता, व्हाट्सएप खुद भी नहीं करता।

    इन संदेशों को लॉक के साथ सुरक्षित किया जाता है और इन्हें अनलॉक करने और पढ़ने के लिए जिस स्पेशल Key की आवश्यकता होती है, वह केवल प्राप्तकर्ता और प्रेषक के पास होती है।

    यह भी दावा किया गया है कि भेजे गए प्रत्येक संदेश का अपना विशिष्ट लॉक और कुंजी होती है। यह भी दावा किया है कि जब एक बार मैसेज डिलीवर हो जाते हैं तो व्हाट्सएप इन संदेशों को अपने सर्वर पर स्टोर नहीं करता है।

    इस प्रकार, व्हाट्सएप की वेबसाइट पर उपलब्ध यह दस्तावेज साफतौर से स्पष्ट करता है कि इस प्रकार के संदेश कड़ाई से व्यक्तिगत संदेश हैं और किसी की भी इन संदेशों तक पहुंच नहीं हो सकती है, व्हाट्सएप की भी नहीं, जिसका अर्थ है कि प्रेषक और प्राप्तकर्ता को छोड़कर कोई भी संदेशों को नहीं पढ़ सकता ।

    इस प्रकार, जब इन संदेशों को कोई दूसरा पढ़ नहीं सकता है, तो यह स्वतः या इसके स्परूप से ही यह दर्शाता है कि कोई तीसरा व्यक्ति और यहां तक​ कि व्हाट्सएप भी उन संदेशों तक नहीं पहुंच सकता है, इसलिए यदि दो व्यक्तियों के निजी खातों पर संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है, तो व्हाट्सएप को एक सार्वजनिक स्थान नहीं माना जा सकता है।

    यदि ये संदेश व्हाट्सएप ग्रुप पर पोस्ट जाते हैं, तो उस स्थिति में इन्हें सार्वजनिक स्थान कहा जा सकता है, क्योंकि समूह के सभी सदस्यों की पहुंच उन संदेशों तक हो जाएगी।

    यह अभियोजन का यह मामला नहीं है कि कथित अश्लील संदेश व्हाट्सएप के उस ग्रुप में पोस्ट किए गए थे जिसमें याचिकाकर्ता और प्रतिवादी नंबर 2 और अन्य सदस्य हैं। इसलिए, व्हाट्सएप पर व्यक्तिगत संदेश भेजने को सार्वजनिक स्थान पर अश्लील शब्द कहने के समान नहीं माना जाएगा। इसलिए, आईपीसी की धारा 294 का आह्वान नहीं किया जा सकता या इस धारा के तहत मामला नहीं बनाया जा सकता।

    खंडपीठ ने आईपीसी की धारा 294 के तहत दर्ज एफआईआर के हिस्से को रद्द कर दिया, लेकिन धारा 509 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा कि-

    "एक महिला को वेश्या कहना , भले ही वह खुद की पत्नी हो। वहीं उसे यह कहना कि वह वेश्यावृत्ति में लिप्त होकर पैसे कमाती, एक महिला की सुशीलता का अपमान करने के समान है, इसलिए यह इंगित करने के लिए प्रथम दृष्टया सबूत है कि यह अपराध आईपीसी की धारा 509 के तहत आता है।

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