पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ संबंधी नियमों की उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए: मेघालय हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

1 Sept 2022 12:03 PM IST

  • पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ संबंधी नियमों की उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए: मेघालय हाईकोर्ट

    मेघालय हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के संबंध में नियम प्रकृति में फायदेमंद हैं और इसकी उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए।

    यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एच. एस. थांगखियू ने की:

    ''विभिन्न योजनाओं, विशेष रूप से पेंशन और सेवांत (टर्मिनल) लाभों की मंजूरी के मामलों में यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि पेंशन के संबंध में प्रावधान या नियम, जो स्वाभाविक तौर पर फायदेमंद हैं, की उदारतापूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए। मौजूदा मामले में, याचिकाकर्ता ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (2005 में) ली थी, लेकिन उसने पेंशन और अन्य सेवांत लाभों का हकदार बनने के लिए आवश्यक कार्यकाल तक सेवा की थी। इस तरह, यह विवेचन करने के लिए कि वह डीसीआरजी का हकदार नहीं है, क्योंकि प्रावधानों को संशोधित करने वाली अधिसूचना छह अप्रैल, 2015 को जारी किये जाने के तर्क को याचिकाकर्ता को डीसीआरजी से इनकार करने के लिए एक उचित आधार के रूप में नहीं लिया जा सकता है। मैं याचिकाकर्ता के विद्वान वकील के इस तर्क में दम पाता हूं कि अधिसूचना एक संशोधन है जो स्वाभाविक तौर पर स्पष्टीकरण से कहीं अधिक हैं और यदि विधायी मंशा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को इससे बाहर करना था, तो इसे नियमों में ही स्पष्ट कर दिया गया होता।"

    रोंगरिकिमग्रे डेफिसिट अपर प्राइमरी स्कूल, बाघमारा के प्रधानाध्यापक के रूप में 25 साल की सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनने वाले और 2005 में सरकार द्वारा सेवामुक्त कर दिये गये याचिकाकर्ता ने तत्काल रिट याचिका में एकमात्र शिकायत यह की है कि उन्हें मेघालय डेथ कम रिटायरमेंट ग्रेच्युटी नियम, 1985 (डीसीआरज) के तहत बकाया राशि जारी नहीं की गई है।

    याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि मेघालय सहायता प्राप्त स्कूल कर्मचारी नियमावली, 1985 के नियम-7 के अनुसार याचिकाकर्ता को डीसीआरजी के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए थे और उन्होंने सेवा से इस्तीफा नहीं दिया था। आगे यह भी दलील दी गयी कि दिनांक 06.04.2015 की अधिसूचना के आधार पर डीसीआरजी को अस्वीकार करने का आधार मान्य नहीं है, क्योंकि यह एक संशोधन है, जिसके द्वारा नियमों के तहत डीसीआरजी की पात्रता को और अधिक स्पष्ट किया गया है।

    सरकारी वकील ने दलील दी है कि याचिकाकर्ता की प्रार्थना पर विचार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि याचिकाकर्ता स्वेच्छा से 2005 में सेवानिवृत्त हुआ था, जबकि स्वेच्छा से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को शामिल किये जाने के प्रावधान उक्त अधिसूचना की तारीख से ही प्रभावी बनाया गया था। विद्वान सरकारी वकील ने इस तथ्य को इंगित करते हुए दिनांक 06.07.2022 को एक पत्र प्रस्तुत किया और दलील दी कि इस स्थिति को देखते हुए याचिकाकर्ता को डीसीआरजी जारी नहीं किया गया था।

    कोर्ट ने संज्ञान लिया कि पेंशन और सेवांत लाभ कर्मचारी द्वारा प्रदान की गई पिछली सेवाओं के लिए भुगतान का एक निहित अधिकार है। प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ता को डीसीआरजी से इनकार करने का एकमात्र कारण यह है कि मेघालय सहायता प्राप्त स्कूल कर्मचारी नियमावली, 1985 में संशोधन करने वाली अधिसूचना दिनांक 06.04.2015 को जारी होने के बाद ही कर्मचारियों को स्वेच्छा से सेवानिवृत्त हुए लोगों को डीसीआरजी दिए जाने के योग्य माना गया है, और चूंकि याचिकाकर्ता उक्त संशोधन से पहले सेवानिवृत्त हो गया था, इसलिए वह डीसीआरजी के हकदार नहीं होंगे।

    तदनुसार, इस रिट याचिका का इस निर्देश के साथ निपटारा किया गया कि प्रतिवादी छह सप्ताह के भीतर डीसीआरजी की मंजूरी के लिए रिट याचिकाकर्ता के मामले पर विचार करें।

    केस शीर्षक: श्री. अनवारुल कादिर बनाम मेघालय सरकार और अन्य।

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