बीसीसीआई से COVID-19 के दौरान आईपीएल आयोजित करने के कारण 1000 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला जाए: बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई
LiveLaw News Network
4 May 2021 3:04 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2021 को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की। दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट में भारत में COVID-19 की दूसरी लहर के कारण कोरोनोवायरस के कारण हो रही मौत और तेजी से बढ़ते कोविड मामलों के मद्देनजर आईपीएल 2021 को रद्द करने की मांग वाली याचिका दायर की गई थी।
याचिका में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को COVID-19 महामारी के बीच आईपीएल आयोजित करने और कुप्रबंधन और लापरवाही के लिए 1000 करोड़ रूपये के रूप में दंडित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही याचिका में इन रूपयों का उपयोग लोगों के उपचार के लिए दवाओं और चिकित्सकीय ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए निर्देश देने की मांग की गई।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने गुरुवार को मामले की सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।
कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता वकील ने आज की सुनवाई के दौरान जनहित याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि आईपीएल के सभी पेंडिंग मैच मुंबई में ही होंगे। बाद में दिन में रिपोर्ट आई कि कुछ खिलाड़ियों को COVID-19 संक्रमण होने के कारण बीसीसीआई ने अनिश्चित काल तक के लिए आईपीएल को सस्पेंड करने का फैसला किया है।
भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र के तहत एडवोकेट वंदना शाह ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सीईओ और अन्य सदस्यों के खिलाफ याचिका दायर की है।
याचिका में यह देखने के लिए एक विनियमन तंत्र के गठन के लिए निर्देश देने की मांग की गई कि उनके कर्मचारी और अनुबंधित बाध्य खिलाड़ी काम के दौरान कोई गलत या आपराधिक कार्य नहीं कर रहे हैं।
याचिका में इसके अलावा बीसीसीआई को विनियमित करने के लिए परिभाषित नियम और सार्वजनिक और क्रिकेटरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से बीसीसीआई को पूरी पारदर्शिता के साथ यह बताने का भी निर्देश देने का आग्रह किया है कि COVID19 प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है या नहीं। इसके साथ ही देश के लोगों से विशेषकर क्रिकेट प्रशंसकों से इसके लिए संवेदनशील होकर सशर्त माफी मांगी जानी चाहिए।
कोर्ट से याचिका में एमपीएल (MPL) और ड्रीम 11 (Deam 11) जैसे एप्लीकेशन और खेलों पर प्रतिबंध लगाने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ये जुए खेलने के ऐप हैं और हमारा देश 'क्रिकेट की पूजा करने वाले देश' है इसलिए लोगों को जुआ खेलने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए निश्चित रूप से क्रिकेटरों को ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम नहीं करना चाहिए। इसलिए याचिकाकर्ता ने 50 करोड़ का जुर्माना मांगा है, जिसमें एमपीएल द्वारा प्रायोजित प्रायोजन की राशि और प्रायोजन पर खर्च किए गए धन की दोगुनी का उपयोग श्रमिकों के कल्याण के लिए किया जाए।
याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की कि आईपीएल में भाग दूसरे देशों के क्रिकेटरों को तुरंत वापस भेजने के निर्देश जारी किए जाएं और तुरंत उन सभी लोगों की देखभाल की जाए जिन्हें COVID19 हुआ है।
याचिका में आगे मांग की गई है कि बीसीसीआई को आईपीएल 2021 के पूरे खर्च, कमाई, आय, टैक्स से पहले मुनाफे को सबके सामने प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए और आजीविका कमाने के लिए संघर्ष कर रहे आम लोगों के लिए धन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
कानूनी पेशेवर याचिकाकर्ता ने बीसीसीआई को आईपीएल टूर्नामेंट को जारी रखकर द्वारा किए गए कथित गलत काम के लिए सार्वजनिक और भारत के लोगों के प्रति जवाबदेही पर सवाल उठाया है, क्योंकि इस समय में जीवन अधिक महत्वपूर्ण है।
याचिका में कहा गया कि आईपीएल में सैकड़ों खिलाड़ी, आयोजक हैं और ग्राउंड स्टाफ, संविदा कर्मचारी जैसे कई लोग भी शामिल हैं और इसलिए काम के दौरान होने वाली कोई भी घटना घटित होती है तो इसकी जिम्मेदारी कर्मचारी, संगठन या शासी निकाय का होता है।
याचिकाकर्ता के अनुसार काम के दौरान अपने कर्मचारियों द्वारा किए गए गलत कामों के लिए संगठन द्वारा कोई जवाबदेही नहीं होने का मुद्दा आम जनता की सुरक्षा और कल्याण को ध्यान में रखते हुए एक चिंता का विषय है।
याचिका में कहा गया कि,
"संगठन को एक टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए क्योंकि लोगों का जीवन ज्यादा जरूरी है और हम इस तरह लोगों के जीवन के खतरे में नहीं डाल सकते हैं। यह सच है कि अगर कई लोग किसी एक जगह पर इकट्ठा होते हैं तो वह जगह सुपर स्प्रेडर बन जाता है।"