पटना हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पर देवी सरस्वती की अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने के आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

6 Aug 2021 4:14 AM GMT

  • पटना हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट ने देवी सरस्वती की मूर्ति के साथ अश्लील तस्वीरें लेने और प्रसारित करने के दो आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है।

    याचिकाकर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) [धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना], 506 [आपराधिक धमकी], और धारा 34 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 [इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना] के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसी के खिलाफ अग्रिम जमानत की मांग की गई थी।

    न्यायमूर्ति सुधीर सिंह ने कहा,

    "उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मैं याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं हूं। इसे खारिज कर दिया जाता है। अगर याचिकाकर्ता निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करते हैं और नियमित जमानत के लिए प्रार्थना करते हैं, तो इसे बिना मैरिट के आधार पर माना जाएगा। इस आदेश से पूर्वाग्रहित है। यदि संभव हो तो नियमित जमानत का निपटारा अधिमानतः उसी दिन किया जाता है।"

    अभियोजन पक्ष के मामले में आरोपितों ने देवी सरस्वती की प्रतिमा के साथ बेहद अश्लील व अश्लील फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दी।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ता युगल किशोर ने अग्रिम जमानत की मांग करते हुए तर्क दिया कि उनका कोई आपराधिक इतिहास या गवाहों से छेड़छाड़ का आरोप नहीं है। आरोपों से इनकार करते हुए आरोपियों का दावा है कि उन्हें वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है।

    राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक ज़ैनुल आबेदीन ने अग्रिम जमानत देने का विरोध करते हुए तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं का नाम प्राथमिकी में है और वायरल हुई अश्लील तस्वीरों में दिखाई दे रहा है, जिन्हें प्राथमिकी का हिस्सा बनाया गया है।

    केस का शीर्षक: रवि कुमार एंड अन्य बनाम बिहार राज्य

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