पटना हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस और हाईकोर्ट के अन्य न्यायाधीशों के खिलाफ अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट करने के आरोपी अधिवक्ता को जमानत दी
LiveLaw News Network
12 March 2022 3:00 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक वकील को जमानत दे दी। इस वकील पर सोशल मीडिया पर न्यायपालिका की छवि खराब करने वाले कई निंदनीय, चौंकाने वाले और अपमानजनक पोस्ट करने का आरोप लगाया गया।
जस्टिस ए.एम. बदर की पीठ ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि अधिवक्ता ने अपने खिलाफ कथित कृत्य के लिए मांफी मांगी। उसकी पत्नी ने इस आशय का एक अतिरिक्त हलफनामा दायर किया कि वह भविष्य में सोशल मीडिया पर इसी तरह की सामग्री पोस्ट नहीं करेंगे।
अधिवक्ता/जमानत आवेदक दिनेश के खिलाफ पटना हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई थी।
जस्टिस संदीप कुमार ने पाया कि जमानत आवेदक भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के साथ-साथ केंद्रीय कानून मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति सहित सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को गाली देने वालों में शामिल था।
अदालत के आदेश के अनुसार, एफआईआर दर्ज की गई और उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 201, 504 और 505 के साथ-साथ आईटी 16 दिसंबर, 2021 को अधिनियम की धारा 66 और 67 सी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया।
हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान केस डायरी में देखते हुए उल्लेख किया कि जमानत आवेदक ने सोशल मीडिया पर अपने अपमानजनक पोस्ट से भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, इस न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के साथ-साथ पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को भी निशाना बनाया था।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि आवेदक से जुड़े उक्त प्लेटफॉर्म पर होस्ट किए गए URL के साथ Youtube चैनल /अकाउंट के माध्यम से होस्ट और प्रसारित की गई सामग्री में अत्यधिक आपत्तिजनक सामग्री थी।
इसी तरह, केस डायरी में यह भी खुलासा किया कि कई घोर आपत्तिजनक, निंदनीय और अपमानजनक संदेश के साथ ही वीडियो आवेदक के यूट्यूब चैनल और फेसबुक अकाउंट पर पूरी तरह से न्यायपालिका की पूरी संस्था की छवि खराब करने के लिए पोस्ट किए गए थे।
कोर्ट का अवलोकन
कोर्ट ने कहा कि प्री-ट्रायल डिटेंशन दंडात्मक नहीं हो सकता है और जमानत के अधिकार से केवल इसलिए इनकार नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि समुदाय की भावनाएं आरोपी के खिलाफ हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि मुकदमे में अपना समय लगेगा।
गौरतलब है कि अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखा कि वर्तमान मामले के तथ्यों के आधार पर वर्तमान आवेदक की पत्नी ने एक शपथ पत्र में सूचित किया कि आवेदक ने एफआईआर में उल्लिखित कथित कृत्यों के लिए उसके सामने पश्चाताप किया है और आश्वासन दिया कि भविष्य में वह किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट नहीं करेंगे।
यह देखते हुए कि वर्तमान आवेदक के खिलाफ सबूत मुख्य रूप से दस्तावेजी सबूत हैं और उसके साथ छेड़छाड़ की संभावना बहुत कम है, अदालत ने उसे 30,000/- रुपये के पीआर बांड निष्पादित करने और दो जमानतों को प्रस्तुत करने पर जमानत दी।
केस का शीर्षक - दिनेश बनाम बिहार राज्य
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