पटना हाईकोर्ट ने 'पैगंबर' पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी का समर्थन करने के आरोपी हिंदू संगठन के प्रमुख को दी जमानत

Brij Nandan

8 Dec 2022 8:23 AM GMT

  • पटना हाईकोर्ट ने पैगंबर पर नूपुर शर्मा की टिप्पणी का समर्थन करने के आरोपी हिंदू संगठन के प्रमुख को दी जमानत

    पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा टिप्पणी का समर्थन करने के आरोपी 'हिंदू पुत्र संगठन' के प्रमुख राजीव कुमार ब्रह्मर्षि को जमानत दी।

    जस्टिस शैलेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने ब्रह्मर्षि को इस तथ्य के मद्देनजर जमानत दी कि जांच पूरी हो चुकी है और जिन महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ की जानी है उनमें से अधिकांश पुलिस अधिकारी हैं।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि अदालत ने यह भी पाया कि प्राथमिकी के अनुसार, केवल पोस्ट के कारण सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका का आरोप लगाया गया था। हालांकि, अदालत ने कहा, ऐसा नहीं लगता कि याचिकाकर्ता की आपत्तिजनक वीडियो से आहत होकर कोई भी पुलिस के पास आया।

    इसलिए मामले में 'नरम दृष्टिकोण' अपनाते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को संबंधित न्यायालय की संतुष्टि के लिए 10,000/- रुपये के जमानत बांड भरने और समान राशि के दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर रिहा किया जाए।

    क्या है पूरा मामला?

    अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि ब्रह्मर्षि ने नूपुर शर्मा की टिप्पणी का समर्थन करते हुए और मुस्लिम धर्म के खिलाफ एक आपत्तिजनक वीडियो फेसबुक पर अपलोड किया था जिससे समुदाय की भावनाएं आहत हुईं।

    ब्रह्मर्षि के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 295A [जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके अपमानित करने का इरादा] और 153A [धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास स्थान, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना] और आईटी एक्ट की धारा 67 [इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने के लिए सजा]] के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    अपने बचाव में, उनके वकील ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ मामले को पुलिस अधिकारी ने जल्दबाजी में उसी तारीख और समय पर दर्ज किया था जब कथित घटना पुलिस अधिकारियों के संज्ञान में आई थी।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता नगर निगम, वैशाली का चल रहा चुनाव लड़ रहा है। इसलिए, कई राजनीतिक दलों की उसके साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है, जिसके कारण उसे आपराधिक मामलों में फंसाया जा रहा है।

    केस टाइटल - राजीव कुमार ब्रह्मर्षि बनाम बिहार राज्य

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