पटना हाईकोर्ट ने गांधी मैदान पुलिस स्टेशन में जब्त गाड़ियों समेत अन्य अवरोधों को सड़क से हटाने का निर्देश दिया; डीजीपी से हलफनामा मांगा

LiveLaw News Network

13 April 2022 11:45 AM GMT

  • पटना हाईकोर्ट ने गांधी मैदान पुलिस स्टेशन में जब्त गाड़ियों समेत अन्य अवरोधों को सड़क से हटाने का निर्देश दिया; डीजीपी से हलफनामा मांगा

    पटना हाईकोर्ट (Patna high Court) ने गांधी मैदान थाने में जब्त गाड़ियों को सड़क पर रखे जाने का ब्यौरा तलब किया है।

    चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस. कुमार की खंडपीठ ने एडवोकेट शिल्पी केशरी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना के सभी पुलिस स्टेशन में जब्त वाहनों समेत अन्य अवरोधों को हटाने के कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर सख्त नाराजगी जताई।

    कोर्ट ने आदेश दिया,

    "डीजीपी को 24 घंटों में गांधी मैदान थाना से सभी अवरोध हटाने का निर्देश दिया जाता है। इसके साथ ही दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करें।"

    याचिका में कहा गया है कि राजधानी पटना के सभी थानों में वाहनों को जब्त कर उसे सड़क पर रख दिया जाता है। इससे आम लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। कठिनायों का सामना करना पड़ता है।

    कोर्ट ने सभी जब्त गाड़ियों के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए कहा। इसके साथ ही चीफ जस्टिस संजय करोल पूछा कि अब तक जब्त किए गए वाहनों के बारे में क्या कार्रवाई की गई है।

    कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पटना के गांधी मैदान के आस पास पार्किंग स्थल को छोड़ कर और कहीं भी गाड़ी पार्क नहीं किया जाएगा।

    राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रभात कुमार वर्मा ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि पुलिस थाना, गांधी मैदान द्वारा कई अपराधों के संबंध में जब्त किए गए सभी वाहनों को गांधी मैदान में सार्वजनिक पथ / सड़क से हटा दिया गया है।

    याचिकाकर्ता एडवोकेट शिल्पी केशरी ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से साइट का दौरा किया है। पटना के अगमकुआं, कंकड़बाग, पत्रकार नगर समेत अन्य कई थानों की ऐसी ही स्थिति है।

    आगे कहा कि आज गांधी मैदान थाना से जब्ती की वाहनों को भले हटा दिया गया है, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर वहीं हालत हो जाएगी। इसकी निरंतर मॉनिटरिंग की जरूरत है।

    पुलिस महानिदेशक, बिहार सरकार ने उन कुछ वाहनों के विवरण को रिकॉर्ड में रखा है जिनके संबंध में यह मामला जिला न्यायाधीश, पटना के समक्ष उठाया गया था।

    कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह के अनुरोध पर कार्रवाई नहीं की गई है।

    कोर्ट ने कहा कि हम पुलिस महानिदेशक, बिहार सरकार को अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं, जिसमें दर्शाया गया है- (ए) पटना शहर की नगरपालिका सीमा के भीतर पुलिस स्टेशनों की कुल संख्या ; (बी) मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के तहत परिभाषित मोटर वाहनों की संख्या, प्रत्येक पुलिस स्टेशन के संबंध में जब्त की गई गाड़िया; (ग) इसके निपटान के लिए क्या कदम उठाए गए हैं; (घ) विभिन्न न्यायालयों में कितने मामले लंबित हैं; (e) केस संख्या का विवरण।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि हमारा यह भी सुविचारित विचार है कि सभी हितधारकों को तुरंत एक बैठक बुलानी चाहिए, जिसमें यह जांच की जाए कि मोटर वाहनों के शीघ्र रिलीज/निपटान में अधिनियम के प्रावधानों को सर्वोत्तम तरीके से कैसे लागू किया जा सकता है।

    कोर्ट ने देखा कि अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस (मुख्यालय), बिहार ने दिनांक 11 मार्च, 2022 के संचार के माध्यम से अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग, बिहार सरकार से पटना शहरी क्षेत्र में 20 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है, जहां जब्त किए गए वाहनों को सुरक्षित अभिरक्षा में पार्क किया जा सकता है।

    कोर्ट ने आदेश दिया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, बिहार सरकार इस पर जल्द से जल्द यानी आज से चार सप्ताह की अवधि के भीतर निर्णय लें।

    कोर्ट ने आदेश में आगे कहा कि इस बीच, अन्य मुद्दे पर, बिहार सरकार के पुलिस महानिदेशक दो सप्ताह के भीतर अपना हलफनामा दाखिल करेंगे। इसके साथ ही किसी भी वाहन को अनधिकृत रूप से पार्क करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

    कोर्ट ने कहा कि इस मामले को 21 अप्रैल, 2022 के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

    केस का शीर्षक: शिल्पी केशरी बनाम बिहार राज्य एंड अन्य

    कोरम: चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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