पटना हाईकोर्ट ने विधि सचिव को छह सप्ताह के भीतर सभी अदालतों में वकीलों,क्लाइंटों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया

Brij Nandan

17 May 2022 11:44 AM GMT

  • पटना हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट

    पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने राज्य की सभी अदालतों में वकीलों और उनके क्लाइंट के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए विधि सचिव को छह सप्ताह के भीतर प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया है।

    चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने एडवोकेट रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश दिया,

    "विधि सचिव सभी हितधारकों के साथ बैठक कर पूरे राज्य के वकीलों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए योजना तैयार करें।"

    कोर्ट ने कहा कि हमने राज्य की ओर से दाखिल 10.05.2022 के शपथ पत्र का अवलोकन किया है। हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक के अनुसार, प्रतिवादी राज्य ने अब सभी जिला न्यायाधीशों / जिलाधिकारियों को वकीलों के हॉल के निर्माण के लिए भूमि की पहचान करने के लिए लिखित कार्रवाई की है; (बी) शौचालय परिसर और (सी) डिजिटल कंप्यूटर कमरे। यह 19 अगस्त, 2021 को संशोधित विधि और न्याय विभाग, बिहार सरकार द्वारा तैयार की गई योजना के संदर्भ में है।

    कोर्ट ने वकीलों के लिए शौचालयों के निर्माण के संबंध में कहा कि यह योजना विशेष रूप से वकीलों के लिए अलग शौचालयों से संबंधित नहीं है और अदालत परिसर के भीतर बनाए जाने वाले शौचालयों तक ही सीमित है। साथ ही डिजिटल कंप्यूटर कक्ष, जैसा कि योजना में उल्लेख किया गया है, शायद अदालत परिसरों के भीतर बुनियादी ढांचे की स्थापना के संदर्भ में है।

    कोर्ट ने वकीलों के लिए बुनियादी सुविधाओं के संबंध में कहा कि हम इस तथ्य से बेखबर नहीं हो सकते हैं कि वकील न्याय व्यवस्था/वितरण प्रणाली का हिस्सा हैं और इसलिए, उनके उपयोग के लिए पूर्ण बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। सबसे पहले, इस तरह के बुनियादी ढांचे को हॉल के निर्माण के माध्यम से किया जाना चाहिए।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि शौचालय एवं डिजिटल कम्प्यूटर कक्ष के साथ वकीलों के हॉल के निर्माण का प्रस्ताव आवश्यक अनुमोदन एवं स्वीकृति के लिए केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा।

    पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव से अपने स्तर से मामले पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था।

    याचिका में कहा गया है कि राज्य की अदालतों में उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है।

    अब, इस मामले पर अगली सुनवाई 30 जून को होगी।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट रमाकांत शर्मा पेश हुए और प्रतिवादी की ओर से एजी ललित किशोर पेश हुए थे।

    केस टाइटल: रमाकांत शर्मा बनाम बिहार राज्य एंड अन्य

    कोरम: चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:




    उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य में 1,20,000 से ज़्यादा अधिवक्ता विभिन्न अधिवक्ता संघों में रजिस्टर्ड हैं। लेकिन उनके लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे टेबल, कुर्सी, पानी पीने की सुविधा जैसी आधारभूत संरचना नहीं है।

    इस पर खंडपीठ ने कहा कि अधिवक्ताओं की बुनियादी सुविधाओं को नकारा नहीं जा सकता है। अधिवक्ताओं के लिए आधारभूत संरचना बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार की भागीदारी 60:40 के अनुपात में है।

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