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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जरूरी मामलों पर सुनवाई करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जरूरी मामलों पर सुनवाई करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए
पटियाला हाउस कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जरूरी मामलों पर सुनवाई करने का फैसला किया और इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए।
सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 06/04/20 के आदेश के अनुपालन में यह निर्णय लिया गया है, जिसमें जिला अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई शुरू करने का निर्देश दिया था।
पटियाला हाउस कोर्ट की कंप्यूटर शाखा को जिला और सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने निर्देशित किया है, ताकि उन सभी वकीलों और पक्षकारों की सहायता की जा सके जो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं।
वर्तमान आदेश यह भी बताता है कि ई-कोर्ट प्लेटफॉर्म के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा प्रदान करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन वकील इस अंतरिम अवधि में उक्त सुविधा के लिए CISCO WEBEX का उपयोग कर सकते हैं।
वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का अनुरोध दस्तावेजों के साथ तत्काल मामलों के लिए phcourts@gmail.com पर भेज सकते हैं। इसके बाद, प्रभारी - फाइलिंग काउंटर द्वारा इसे डाउनलोड किया जाएगा और बाद में व्हाट्सएप या ईमेल के माध्यम से संबंधित न्यायाधीश को भेज दिया जाएगा।
यदि न्यायाधीश मामले की तत्काल सुनवाई करने पर सहमत होते हैं तो प्रभारी - फाइलिंग काउंटर जांच अधिकारी की रिपोर्ट भेजेगा और सुनवाई के लिए तय तारीख से पहले उक्त रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश के साथ मुख्य लोक अभियोजक को नोटिस भी जारी करेगा। इसी को प्रतिवादियों को अग्रिम भेजा जा सकता है।
IO / लोक अभियोजक / विपक्षी पक्षकार phcourts@gmail.com पर अपनी सहमति भेजेंगे, जिसकी प्रति अदालत के कंप्यूटर शाखा द्वारा प्रतिवादी को भेजी जाएगी।
बाद में प्रभारी-फाइलिंग काउंटर उस दिन या जिस दिन सुनवाई तय की गई है, उस दिन न्यायाधीश के साथ परामर्श में सुनवाई और समय स्लॉट की अगली तारीख को सूचित करेगा।
यदि अधिवक्ता / याचिकाकर्ता / पुलिस / लोक अभियोजक अपने स्थानों से सुनवाई का संचालन करने के लिए सुसज्जित नहीं हैं, तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा न्यायाधीश के कॉन्फ्रेंस हॉल में उपलब्ध कराई जाएगी और कंप्यूटर शाखा इस तरह की सुनवाई की सुविधा की व्यवस्था करेगी।
मामले को निपटाने के बाद, न्यायाधीश तुरंत ही वेबसाइट पर इसको अपलोड करेगा, फिर पक्षकार इसे डाउनलोड कर सकते हैं।
आदेश में कहा गया है कि:
'अगर जज जमानत देने का फैसला करते हैं तो जमानत बांड संबंधित जेल में तैनात ड्यूटी एमएम को दिया जाएगा।'
इसके अतिरिक्त, न्यायालय के कार्यवाहक को यह सुनिश्चित करने के लिए भी निर्देशित किया जाता है कि संबंधित न्यायालयों और कक्षों को ठीक से साफ किया जाए।
आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें