एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 के तहत पंच गवाह के पास तलाशी और जब्ती का अधिकार नहीं: मुंबई स्पेशल कोर्ट

LiveLaw News Network

15 Nov 2021 9:43 AM IST

  • एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 के तहत पंच गवाह के पास तलाशी और जब्ती का अधिकार नहीं: मुंबई स्पेशल कोर्ट

    स्पेशल एनडीपीएस कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में आरोपी नूपुर सजिता को जमानत देते हुए कहा कि कॉर्डेलिया क्रूज पर आई नूपुर सजिता के पास से चार एक्स्टसी गोलियों (Ecstasy Pills) की कथित जब्ती प्रथम दृष्टया अवैध है।

    विशेष एनडीपीएस न्यायाधीश वीवी पाटिल ने कहा कि 2 अक्टूबर को सतीजा के कमरे की तलाशी लेने वाले एक अधिकृत अधिकारी (एनडीपीएस एक्ट की धारा 42 के तहत) के बजाय महिला पंच गवाह ने तलाशी और जब्ती की।

    आदेश में कहा गया है,

    "जहां तक आरोपी नंबर 8 का सवाल है, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, वह भी अवैध जब्ती और एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 के प्रावधानों के उल्लंघन के आधार पर जमानत की हकदार है।"

    मामले का तथ्य

    सतीजा और उनके सह-आरोपी गोमित चोपड़ा को आर्यन शाहरुख खान के दो घंटे बाद 3 अक्टूबर, 2021 को एनडीपीएस अधिनियम,1985 की धारा धारा 8 (सी) आर / डब्ल्यू 22 (बी), 27, 28 और 29 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 30 अक्टूबर को जमानत दी गई थी।

    एनसीबी ने सतीजा पर उसके कमरे में सैनिटरी नैपकिन में 4 हरे रंग की एक्स्टसी गोलियां पाए जाने के बाद उस पर प्रतिबंधित मात्रा में रखने का आरोप लगा।

    एनसीबी ने गोमित पर एमडीएमए (एक्स्टसी) की चार गोलियां, कुल वजन 2.8 ग्राम और 3 ग्राम कोकीन रखने का आरोप लगाया।

    तर्क

    सतीजा के वकील अयाज खान और सरताज शेख ने तर्क दिया कि जब्ती पंचनामा से पता चला है कि एक महिला पंच गवाह ने एक खुफिया अधिकारी के इशारे पर उसके कमरे की तलाशी ली थी।

    खान ने 1995 में केंद्र सरकार द्वारा जारी सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, नारकोटिक्स, डीआरआई, एनसीबी, आदि जैसे विभिन्न विभागों के अधिकारियों को सशक्त बनाने वाली एक अधिसूचना पर भरोसा किया।

    इस अधिसूचना के अनुसार केवल एक अधिकारी और निरीक्षक के पद से ऊपर का अधिकारी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के विभाग को शक्तियों का प्रयोग करने और धारा 42 की तलाशी और जब्ती करने का अधिकार है।

    अदालत ने कहा,

    "वर्तमान मामले में, जैसा कि ऊपर चर्चा की गई है, महिला पंच द्वारा तलाशी ली गई है, जो तलाशी लेने के लिए एक अधिकार प्राप्त अधिकारी नहीं है और इसलिए एनडीपीएस अधिनियम की धारा 42 का उल्लंघन है। इसलिए उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों के मद्देनजर उपरोक्त उद्धरणों में वर्तमान आवेदक/अभियुक्त उस आधार पर जमानत के हकदार हैं।"

    अदालत ने दिलकुश जी. सिनाई बनाम गोवा राज्य के फैसले पर भरोसा किया, जहां खंडपीठ ने कहा कि चूंकि एक पंच गवाह द्वारा तलाशी ली गई थी, इसलिए धारा 42 का पालन नहीं किया जा सकता है।

    व्हाट्सएप चैट

    अदालत ने पाया कि सतीजा और गोमित के बीच व्हाट्सएप चैट केवल प्रतिबंधित उपभोग के संबंध में है, न कि बिक्री, खरीद या प्रतिबंधित के किसी अन्य उपयोग के संबंध में।

    कोर्ट ने कहा,

    "इसलिए मुझे आवेदकों की ओर से दी गई दलीलों में सार लगता है कि व्हाट्सएप चैट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि आवेदक कंट्राबेंड के उपभोक्ता हैं।"

    अदालत ने आगे कहा कि मामले में आर्यन खान और दो अन्य को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है, इसलिए सतीजा और गोमित समानता के आधार पर जमानत के हकदार हैं। इसके अलावा, एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 के तहत प्रथम दृष्टया साजिश नहीं बनती है।

    अदालत ने धारा 50 का पालन न करने और अवैध गिरफ्तारी के आरोपों के आरोपी की दलीलों को खारिज कर दिया।

    कॉर्डेलिया क्रूज मामले में अब तक 20 में से 15 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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