ऑक्सीजन की कमी: राजस्थान HC बार एसोसिएशन ने राजस्थान उच्च न्यायालय को पत्र लिखा, मामला जनहित याचिका के तौर पर लिया गया

Sparsh Upadhyay

23 April 2021 4:43 AM GMT

  • ऑक्सीजन की कमी: राजस्थान HC बार एसोसिएशन ने राजस्थान उच्च न्यायालय को पत्र लिखा, मामला जनहित याचिका के तौर पर लिया गया

    राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पत्र को एक पीआईएल मामले के रूप में मानते हुए, राजस्थान उच्च न्यायालय आज कोविड अस्पतालों द्वारा झेली जा रही ऑक्सीजन की कमी के संबंध में पत्र-याचिका पर सुनवाई करेगा।

    एसोसिएशन के अनुरोध को स्वीकार करते हुए, मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती ने कोविड रोगियों की दुर्दशा और अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी के कारण उत्पन्न स्थिति पर प्रकाश डालते हुए पत्र पर सुनवाई करने का निर्णय किया है।

    पत्र में, एसोसिएशन के अध्यक्ष, भुवनेश शर्मा ने यह कहा है कि राज्य और केंद्र सरकार सरकारें एक दूसरे पर जिम्मेदारी को टाल रहे हैं और ऑक्सीजन की कमी के चलते उभरतरती हुई स्थिति से नहीं निपट रहे थे और सरकार के बीच मतभेदों के कारण, राजस्थान के लोग पीड़ित थे।

    एसोसिएशन के पत्र में आगे कहा गया है कि राजस्थान राज्य के सभी जिलों में अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

    मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए, पत्र में यह कहा गया है कि ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के साथ, अस्पतालों को उसकी कमी का सामना करना पड़ रहा था और राज्य और केंद्र सरकार बस एक दूसरे पर जिम्मेदारी टाल रही थीं।

    अंत में, पत्र ने राजस्थान उच्च न्यायालय से मामले में हस्तक्षेप करने और दोनों सरकारों को अस्पतालों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया।

    इसके अलावा, पत्र में यह भी कहा गया है कि राज्य और केंद्र की सरकारों को विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चलाया जा रहा है, उनके बीच समन्वय की कमी है, और वास्तविक पीड़ित राज्य के लोग हैं।

    इस मामले को सुनवाई के लिए आज सूचीबद्ध किया गया है।

    संबंधित समाचार में, जयपुर के एक दर्जन डायग्नोस्टिक केंद्रों ने राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है और राज्य के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमे कोविड -19 के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट की कीमतों पर 350/- की कैपिंग की गई है।

    इस मामले पर आज मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती की अध्यक्षता वाली खंडपीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी।

    याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा तय किए गए शुल्क, ​​प्रयोगशालाओं की वास्तविक लागत से कम हैं और इस प्रकार, वे कैप्ड मूल्य पर परीक्षण नहीं कर पाएंगे।

    पत्र डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

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