जम्मू और कश्मीर में अगस्त 2019 से अब तक सात हज़ार से अधिक लोग प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखे गए

LiveLaw News Network

12 March 2020 4:15 AM GMT

  • जम्मू और कश्मीर में अगस्त 2019 से अब तक सात हज़ार से अधिक लोग प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखे गए

    गृह मंत्रालय ने खुलासा किया है कि जम्मू और कश्मीर में अगस्त, 2019 से अब तक सात हजार से अधिक लोगों कथित तौर पर पथराव करने वाले, उपद्रवी, अलगाववादियों आदि को प्रतिबंधात्मक हिरासत में रखा गया है।

    इन व्यक्तियों में से, 451 व्यक्ति वर्तमान में निवारक निरोध या प्रतिबंधात्मक नजरबंदी के अधीन हैं, जिसमें सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए गए 396 व्यक्ति भी शामिल हैं।

    यह खुलासा, सांसद सरदार सुखदेव सिंह ढींडसा और तिरुचि शिवा द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में किया गया है। उन्होंने तीन तथ्यों पर जानकारी मांगी थी।

    (1) अगस्त, 2019 से फरवरी 2020 तक कश्मीर में राजनीतिक बंदियों की संख्या, प्रत्येक महीने की (2) 29 फरवरी, 2020 तक नजरबंदी या डिटेंशन में रखे गए राजनीतिक बंदियों की संख्या या कितने बंदी अभी भी डिटेंशन में हैं। और (3) क्या उन सभी को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है, यदि ऐसा है, तो किन तारीखों से उनके खिलाफ पीएसए लगाया गया था।

    5 अगस्त, 2019 से घाटी में प्रमुख नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, आदि को हिरासत में लिया गया है, जो कि जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति के निरस्त करने और उसको दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के खिलाफ किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के सहारे के रूप में काम कर रहे हैं।

    11 मार्च को अपने जवाब में गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया कि

    ''जम्मू और कश्मीर सरकार ने बताया है कि शांति और अमन को भंग करने वाले ,राज्य की सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रही गतिविधियों और सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव आदि के लिए अपराधों को होने से रोकने के लिए अगस्त 2019 से कुल 7357 व्यक्तियों को प्रतिबंधात्मक हिरासत में लिया गया था, जिनमें पत्थरबाज, उपद्रवी, जमीनी कार्यकर्ता व अलगाववादी आदि शामिल हैं।

    इनमें से 451 व्यक्ति वर्तमान में निवारक निरोध या प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखे गए हैं, जिनमें जम्मू और कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत रखे गए 396 व्यक्ति भी शामिल हैं।

    इन सभी को डिटेंशन में ,सीआरपीसी की धारा 107 और जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम, 1978 के तहत रखा गया है।''

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