अदालत के समक्ष चुनौती दिए गए आदेश को अतिरिक्त सामग्री पेश करके न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता: पटना हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
31 Jan 2022 9:02 PM IST
पटना हाईकोर्ट ने कहा कि जब न्यायनिर्णायक प्राधिकारी द्वारा पारित किसी आदेश को न्यायालय के समक्ष चुनौती दी जाती है तो सरकारी वकील द्वारा ऐसी सामग्री पर भरोसा करके बचाव नहीं किया जा सकता है, जिसे प्राधिकरण के सामने कभी नहीं रखा गया था, भले ही यह अस्तित्व में हो।
चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर के एक आदेश को रद्द करते हुए कहा,
"सरकारी वकील विकास कुमार ने मामले में अतिरिक्त सामग्री पेश करके आदेश को न्यायोचित ठहराने का प्रयास किया। यह प्रयास प्राधिकरण के समक्ष नही किया गया बल्कि इस न्यायालय के समक्ष आदेश को चुनौती देते हुए दिया गया।
यह कानून में अस्वीकार्य है, क्योंकि प्राधिकरण को अपने सामने रखी गई सामग्री पर विचार करना होगा और किसी अन्य अतिरिक्त सामग्री पर आदेश को उचित नहीं ठहराया जा सकता है।"
बिहार वैल्यू एडेड टैक्स एक्ट, 2005 की धारा 33 सहपठित बिहार टैक्स ऑन एंट्री ऑफ गुड्स एक्ट, 1993 की धारा 8 के तहत सहायक आयुक्त, वाणिज्यिक कर द्वारा पारित डिमांड नोटिस रद्द करने के लिए याचिका दायर की गई।
रिट याचिका की अनुमति देते हुए कोर्ट ने कहा कि आदेश किसी भी अधिकार को प्रकट नहीं करता, जिसके आधार पर कमिश्नर ने याचिकाकर्ता को ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी पाया।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि आक्षेपित आदेश पूरी तरह से विकृत और अनुचित है और याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों में से किसी एक से संबंधित नहीं है।
"प्राधिकरण के दिमाग को प्रस्तुत किए गए तर्क से प्रतिबिंबित होना चाहिए, जिसे हम तत्काल मामले में बिल्कुल न के बराबर पाते हैं। "
केस शीर्षक: यूनाइटेड ब्रुअरीज लिमिटेड बनाम बिहार राज्य
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