निजामुद्दीन मरकज में मस्जिद खोलना डीडीएमए के आदेश के अनुरूप होगा: दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा
LiveLaw News Network
23 Feb 2022 12:43 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र ने मंगलवार को कहा कि शहर के निजामुद्दीन मरकज में मस्जिद खोलने का फैसला दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा पारित आदेश के अनुसार करना होगा।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा निजामुद्दीन मरकज में प्रतिबंधों को कम करने की मांग वाली याचिका में दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। निजामुद्दीन मरकज़ में बनी मस्जिद को 31 मार्च, 2020 से बंद कर किया हुआ है।
उक्त आवेदन वफ़्क़ बोर्ड द्वारा दायर किया गया। इसमें अगले महीने शब ए-बारात के आगामी त्योहार के कारण निज़ामुद्दीन मरकज़ में मस्जिद को फिर से खोलने की मांग की गई। आमतौर पर इस मस्जिद को मस्जिद चूड़ी वाली के रूप में जाना जाता है।
अदालत ने पिछले साल नवंबर में निजामुद्दीन मरकज में तीन क्षेत्रों अर्थात् धार्मिक स्थान (मस्जिद) के सीमांकन के उद्देश्य से एक संयुक्त निरीक्षण करने का आदेश दिया था, जहां लोग नमाज अदा करते हैं, वह जहां स्थान मजलिस होती है और छात्रावास का क्षेत्र शामिल है।
वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान मस्जिद परिसर को फिर से खोलने की मांग वाली अर्जी का हवाला दिया। हालांकि समय की कमी के कारण इस पर विस्तार से चर्चा नहीं हो सकी।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"पिछली बार भी वे इस तथ्य के बारे में बिल्कुल स्पष्ट थे कि उन्हें मस्जिद जाने वाले लोगों में कोई समस्या नहीं है। वास्तव में आप लोग इसे सुलझा सकते हैं।"
केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने प्रस्तुत किया:
"क्या मैं एक बात का सुझाव दे सकता हूं। पहले से ही एक संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट है, जो दोनों पक्षों द्वारा आ चुकी है। उन्होंने क्षेत्रों को चिह्नित किया है। अब केवल यह है कि कितने लोगों को जाने दिया जा सकता है। यह डीडीएमए आदेश के अनुसार तय किया जाएगा।"
तदनुसार, उक्त बयान को रिकॉर्ड में लेते हुए न्यायालय ने आदेश दिया:
"भारत संघ की ओर से पेश वकील का कहना है कि जहां तक मस्जिद खोलने का संबंध है, वह डीडीएमए के आदेशों के अनुसार होना चाहिए। वह इस संबंध में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे।"
दिल्ली पुलिस द्वारा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की मांग करते हुए अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 4 मार्च को पोस्ट किया।
इससे पहले, केंद्र ने अदालत को सूचित किया कि निज़ामुद्दीन मरकज़ के परिसर को संरक्षित करना आवश्यक है, क्योंकि इस मामले में अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंध शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने यह भी प्रस्तुत किया कि संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार को सार्वजनिक आदेश के कारण केवल एक छोटी अवधि के लिए कम किया गया है, इसलिए इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता।
याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार ने 30 मई, 2020 को "अनलॉक 1 के लिए दिशानिर्देश" के रूप में COVID-19 लॉकडाउन के बाद सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को चरणबद्ध रूप से फिर से खोलने के लिए अपने दिशानिर्देशों को धार्मिक स्थानों की सूची को फिर से खोलने की अनुमति दी। फिर भी हज़रत निज़ामुद्दीन क्षेत्र को सूची से बाहर रखा गया था, क्योंकि इसे एक नियंत्रण क्षेत्र में कहा गया है।
हालांकि, सितंबर 2020 में इसे नियंत्रण क्षेत्रों की सूची से हटा दिए जाने के बाद भी वक्फ संपत्ति पर अभी भी ताला लगा हुआ है।
यह प्रस्तुत किया गया कि मरकज़ में एक मजलिस के खिलाफ महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत एफआईआर दर्ज करने के बाद स्थानीय पुलिस द्वारा मरकज़ के पूरे परिसर को बंद कर दिया गया था।
याचिका में विस्तार से बताया गया कि मरकज, जिसे क्षेत्र को साफ करने के बहाने बंद कर दिया गया, 31 मार्च, 2020 से बंद है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि भले ही परिसर किसी भी आपराधिक जांच/मुकदमे में शामिल हो, "पूरे परिसर को 'बाध्य क्षेत्र से बाहर' के रूप में बंद रखने की एक आदिम पद्धति का पालन करने के बजाय एक आधुनिक या वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाना चाहिए।" इसके साथ ही दिल्ली पुलिस और सरकार धार्मिक अधिकारों के साथ न्यूनतम हस्तक्षेप सुनिश्चित करें।
बोर्ड ने आगे कहा कि इस संबंध में सरकार और पुलिस को उसके अभ्यावेदन अनुत्तरित है, इसलिए वह इस याचिका को आगे बढ़ा रहा है। अपनी याचिका में परिसर को बंद रखने की आवश्यकता के पुनर्मूल्यांकन के लिए प्रार्थना कर रहा है। आंतरिक स्थिति को सुरक्षित करने के लिए वैज्ञानिक या उन्नत तरीकों को अपनाने के लिए जांच/परीक्षण उद्देश्यों के लिए परिसर की और धार्मिक उद्देश्यों के लिए मरकज के संचालन में न्यूनतम हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग कर रहा है।
केस शीर्षक: दिल्ली वक्फ बोर्ड अपने अध्यक्ष बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार और एएनआर के माध्यम से