'75 साल से सिर्फ ड्रामा चल रहा, बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं': कर्नाटक हाईकोर्ट ने गांवों में कब्रिस्तान की कमी पर राज्य सरकार को फटकार लगाई

Brij Nandan

16 March 2023 12:12 PM GMT

  • 75 साल से सिर्फ ड्रामा चल रहा, बुनियादी जरूरतें पूरी नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट ने गांवों में कब्रिस्तान की कमी पर राज्य सरकार को फटकार लगाई

    कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने गुरुवार को कुछ गांवों में कब्रिस्तान की कमी को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई।

    जस्टिस बी वीरप्पा और जस्टिस वेंकटेश नाइक टी की खंडपीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "यह बुनियादी जरूरतें हैं, लोग कब्रिस्तान और सड़क और पानी चाहते हैं। इन बुनियादी सुविधाओं की पूर्ति करना आपका कर्तव्य है। आप ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं?”

    आगे कहा,

    “ 75 साल से सिर्फ ड्रामा चल रहा है। कृपया लोगों को बुनियादी सुविधाएं दें।“

    पीठ याचिकाकर्ता मोहम्मद इकबाल द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोपी के खिलाफ 2019 के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए कार्रवाई करने की प्रार्थना की गई थी, जिसमें एक समन्वय पीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह सभी गांवों को छह महीने के भीतर कब्रिस्तान उपलब्ध कराने के लिए हर संभव कदम उठाए।

    आज सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से कहा,

    'हम इस मामले को बंद नहीं करेंगे, हम सदस्य सचिव से रिपोर्ट मांगेंगे। पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कर आम जनता से जानकारी आमंत्रित करेंगे कि पूरे राज्य में जहां कहीं श्मशान नहीं है, उसकी सूचना दें।“

    जिसके बाद वकील ने निर्देश पर न्यायालय को समूचे प्रदेश के समाचार पत्रों में प्रकाशित करने की इच्छा जताते हुए आम जनता को आमंत्रित करते हुए कहा कि पूरे राज्य में जहां किसी भी गांव में कब्रिस्तान भूमि नहीं है वहां सूचना दें और प्रत्येक गांव में कब्रिस्तान भूमि उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाएंगे।

    न्यायालय ने बयान को रिकॉर्ड पर लिया और सदस्य सचिव, कर्नाटक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया कि सभी डीएलएसए सदस्यों और तालुका विधिक सेवा समितियों से उचित जानकारी प्राप्त की जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पूरे राज्य में कोई भी गांव श्मशान भूमि के बिना नहीं होना चाहिए।

    अदालत ने 10 जनवरी के अपने आदेश में राजस्व विभाग के सचिव एन जयराम द्वारा दायर हलफनामे में उल्लिखित विवरण दर्ज किया है, जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि राज्य में 29,616 गांव हैं, जिनमें से 1,394 गांवों को बेचारक गांव माना जाता है यानी बिना बस्ती के गांव। ऐसे में राज्य को 28,222 गांवों को कब्रिस्तान उपलब्ध कराना है।

    इसके अलावा, 28,222 गांवों में से उपायुक्तों की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य ने 27,903 गांवों को कब्रिस्तान भूमि प्रदान की है। आज की स्थिति के अनुसार, राज्य को 319 गांवों को कब्रिस्तान भूमि उपलब्ध करानी है। इस प्रकार राज्य ने कर्नाटक राज्य में 98.87% की सीमा तक कब्रिस्तान उपलब्ध कराने का अनुपालन किया है।

    यह भी कहा गया कि उपायुक्तों की रिपोर्ट के अनुसार राज्य 56 गांवों से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया में है। उक्त 56 गांवों के अलावा कर्नाटक राज्य के किसी भी अन्य गांव में कब्रिस्तान का कोई अतिक्रमण नहीं है।

    जिसके बाद अदालत ने हलफनामे की सत्यता का पता लगाने के लिए राज्य में सभी तालुक विधिक सेवा समितियों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी थी।

    केस टाइटल: मोहम्मद इकबाल और एम महेश्वर राव

    केस नंबर: सीसीसी 343/2020।



    Next Story