राष्ट्रीय राजधानी में लोक निर्माण विभाग के केवल 36 फुट-ओवर-ब्रिज दिव्यांग व्यक्तियों के अनुकूल हैं: हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा

Shahadat

29 Nov 2022 10:48 AM GMT

  • राष्ट्रीय राजधानी में लोक निर्माण विभाग के केवल 36 फुट-ओवर-ब्रिज दिव्यांग व्यक्तियों के अनुकूल हैं: हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार ने कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में लोक निर्माण विभाग के तहत 110 फुट-ओवर-ब्रिज में से केवल 36 में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए लिफ्ट या एस्केलेटर जैसी यंत्रीकृत सहायता है।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष याचिका के जवाब में यह प्रस्तुत किया। उक्त याचिका में फुट-ओवर ब्रिज से जुड़ी लिफ्टों और एस्केलेटरों की गैर-कार्यात्मकता का आरोप लगाया गया। याचिकाकर्ता ने इस दलील को दोहराया कि 36 फुट-ओवर ब्रिज के संबंध में उपरोक्त सुविधा उपलब्ध होने के बावजूद, ये सभी कार्यात्मक नहीं हैं।

    सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि विभाग चार सप्ताह के भीतर सभी फुट-ओवर ब्रिज का सर्वेक्षण करेगा और छह महीने के भीतर सभी को विकलांगों के अनुकूल बनाने की कवायद लिफ्ट या रैंप का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।

    मामले को सुनवाई के लिए 23 मार्च को सूचीबद्ध करते हुए अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा किए गए कार्यों के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दायर की जाए।

    अदालत ने पहले कहा,

    "चार्ट देखें, क्या सीनियर सिटीजन और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ है, उनमें से अधिकांश नहीं, नहीं, नहीं, नहीं ..."

    हाईकोर्ट ने इस साल मार्च में सरकार को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया था, जिसमें विशेष रूप से दिल्ली में फुट-ओवर ब्रिज और अन्य पुलों तक पहुंच के संबंध में स्थिति का संकेत दिया गया हो कि क्या वे सीनियर सिटीजन और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हैं।

    वकील पंकज मेहता द्वारा दायर याचिका में विशेष रूप से दिव्यांग और सीनियर सिटीजन के लिए लिफ्टों, फुट ओवर ब्रिज और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं और संरचनाओं तक पूर्ण पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उचित दिशा-निर्देश मांग की गई।

    याचिका में दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19 (1) (डी) और भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के प्रावधानों के अनुपालन की भी मांग की गई।

    केस टाइटल: पंकज मेहता बनाम भारत संघ व अन्य।

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