राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने कर्तव्यों को लापरवाही बरत रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

25 Jan 2022 5:09 AM GMT

  • राज्य शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने कर्तव्यों को लापरवाही बरत रहे हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि राज्य शिक्षा विभाग और उसके अधिकारी इसके खिलाफ उठाई गई शिकायतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वे बहुत ही लापरवाही से अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।

    जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा, उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करना शुरू कर दें। आने वाले सभी मामलों पर जल्द से जल्द अंतिम निर्णय लें।

    ऐसा न करने पर कोर्ट ने चेतावनी दी कि वह इन चूक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

    न्यायालय एक रिट याचिका पर विचार कर रहा था। इसमें जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, औरैया को अवनीश कुमार द्वारा दायर अभ्यावेदन पर निर्णय लेने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। अवनीश कुमार का पोस्टिंग आदेश पिछले एक साल से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा रोक दिया गया है।

    याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि छह मार्च, 2021 को उसने अपनी शिकायत को व्यक्त करते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, औरैया के समक्ष अभ्यावेदन दिया था। संबंधित अधिकारी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ न्यायालय ने कहा कि यह उचित समय है कि राज्य सरकार के ये अधिकारी काम करना शुरू कर दें और एक महीने की अवधि के भीतर अभ्यावेदन के माध्यम से उनके सामने आने वाली शिकायतों पर ध्यान दें।

    वर्तमान मामले के संबंध में संबंधित अधिकारी को याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर निर्णय लेने के लिए तीन दिनों का एक अंतिम अवसर दिया गया था, जो कि उसके समक्ष छह मार्च, 2021 से लंबित है।

    न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि संबंधित अधिकारी हर संभव प्रयास करेगा और विभिन्न संस्थानों के शिक्षकों और अन्य शिक्षण कर्मचारियों द्वारा उनके समक्ष लंबित सभी आवेदनों / अभ्यावेदनों पर निर्णय करेगा, जिन पर वह तीन सप्ताह की अवधि के भीतर अपना नियंत्रण रखता है।

    अंत में कोर्ट ने 28 जनवरी, 2022 को मामले को नए सिरे से पोस्ट किया। इस तारीख को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, औरैया के वकील को निर्देश दिया गया कि वह अदालत को प्रतिनिधित्व पर लिए गए निर्णय के बारे में सूचित करें और उनसे एक हलफनामा मांगा।

    केस का शीर्षक - अवनीश कुमार बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और दो अन्य

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