देवी सरस्वती के बारे में आपत्तिजनक एफबी पोस्ट: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पोस्ट हटाने के लिए फेसबुक इंडिया के साथ यूआरएल शेयर करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

14 Feb 2022 1:48 PM GMT

  • देवी सरस्वती के बारे में आपत्तिजनक एफबी पोस्ट: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पोस्ट हटाने के लिए फेसबुक इंडिया के साथ यूआरएल शेयर करने का निर्देश दिया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को याचिकाकर्ता को आपत्तिजनक पोस्ट को हटाने के लिए देवी सरस्वती के बारे में एक कथित आपत्तिजनक पोस्ट का यूआरएल (URL) विवरण तुरंत फेसबुक इंडिया के अधिकारियों के साथ साझा करने का निर्देश दिया, जिससे फेसबुक उक्त आपत्तिजनक पोस्ट को तुरंंत हटा सके। अदालत ने याचिकाकर्ता को इस वर्तमान कार्यवाही में कथित आरोपी को पार्टी बनाने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजराशी भारद्वाज की पीठ एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में देवी सरस्वती के बारे में आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट को हटाने के निर्देश देने की मांग की गई। कथित आरोपी ने कथित तौर पर यह पोस्ट किया कि देवी सरस्वती की पूजा को स्कूलों से हटाया जाना चाहिए।

    राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन मुखर्जी ने पीठ को अवगत कराया कि कथित फेसबुक पोस्ट वास्तव में देवी सरस्वती के बारे में एक आपत्तिजनक पोस्ट है और इसे हटाया जाना चाहिए। उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि राज्य सरकार ने कथित यूजर के अकाउंट के विवरण की पहचान करने के लिए फेसबुक इंडिया के अधिकारियों को एक पत्र लिखा है।

    फेसबुक इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि चूंकि याचिकाकर्ता ने कथित आपत्तिजनक पोस्ट के यूआरएल विवरण का खुलासा नहीं किया, इसलिए ऐसी पोस्ट का पता लगाना और यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या ऐसी आपत्तिजनक पोस्ट को हटा दिया गया है या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि उनका मुवक्किल राज्य सरकार के साथ-साथ याचिकाकर्ता को कथित अपराधी से संबंधित यूजर की जानकारी प्रदान करेगा।

    वरिष्ठ वकील ने पीठ को अवगत कराया कि हालांकि याचिका में कथित अपराधी के नाम का उल्लेख किया गया, लेकिन कथित अपराधी को पार्टी नहीं बनाया गया। तद्नुसार, उन्होंने वर्तमान कार्यवाही में कथित अपराधी को पक्षकार बनाने के निर्देश देने की प्रार्थना की।

    वरिष्ठ अधिवक्ता रोहतगी ने आगे कहा कि श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार तय कानूनी स्थिति यह है कि ऐसी परिस्थितियों में अदालत को ऐसे आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट को हटाने का निर्देश देना होगा। चूंकि फेसबुक एक मध्यस्थ मंच है, इसलिए यह अपने आप तय नहीं कर सकता कि कोई पोस्ट अनैतिक है या नहीं।

    वरिष्ठ वकील ने कथित रूप से आपत्तिजनक फेसबुक पोस्ट के संबंध में आगे टिप्पणी की,

    "अगर कोर्ट इसे हटाने का आदेश देता है तो हम मुकदमा नहीं लड़ेंगे।"

    याचिकाकर्ता के वकील ने खंडपीठ के समक्ष टिप्पणी की,

    "फेसबुक एक मध्यस्थ के रूप में कार्य नहीं कर रहा है.. यह अभद्र भाषा फैलाने की जिम्मेदार भारतीय कानूनों में खामियों का उल्लेख कर रहा है।"

    संबंधित पक्षों की दलीलों के अनुसार, बेंच ने कहा कि यदि संबंधित फेसबुक पोस्ट अभी भी मौजूद है तो यह निश्चित रूप से एक आपत्तिजनक पोस्ट है और इस प्रकार इसे हटाए जाने की आवश्यकता है।

    पीठ ने आगे निर्देश दिया,

    "याचिकाकर्ता के वकील को बिना किसी देरी के प्रतिवादी एक (फेसबुक इंडिया) को यूआरएल का खुलासा करने और ऐसी पोस्ट करने वाले व्यक्ति को पकड़ने के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।"

    याचिकाकर्ता को याचिका के साथ संलग्न दस्तावेजों का अंग्रेजी अनुवाद दाखिल करने का भी आदेश दिया गया। अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर पूरक हलफनामे को भी रिकॉर्ड में लिया और याचिकाकर्ता को इस तरह के पूरक हलफनामे की एक प्रति प्रतिवादियों को देने का निर्देश दिया।

    मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होनी है।

    केस शीर्षक: मधुरिमा सेनगुप्ता बनाम फेसबुक इंक. भारत और अन्य

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