पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के तोड़फोड़ के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामले में नूंह जिला परिषद सदस्य ने हस्तक्षेप आवेदन दायर किया

Sharafat

8 Aug 2023 11:23 AM GMT

  • पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के तोड़फोड़ के खिलाफ स्वत: संज्ञान मामले में नूंह जिला परिषद सदस्य ने हस्तक्षेप आवेदन दायर किया

    नूंह जिला परिषद के एक सदस्य ने हरियाणा में कथित अवैध विध्वंस के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा सोमवार को की गई स्वत: संज्ञान कार्रवाई में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया। आवेदक याहुदा मोहम्मद ने कहा कि जिला प्रशासन ने सांप्रदायिक हिंसा प्रभावित नूंह प्रशासन में हुए विध्वंस अभियान में 200 से अधिक रहवासी घर नष्ट कर दिये।

    आवेदन में कहा गया है कि “तीन दर्जन से अधिक गांवों में 300 से अधिक परिवार राजस्थान और अन्य राज्यों की ओर जाने के लिए अपना घर छोड़ चुके हैं। नूंह पुलिस की एक टीम ने बिना कोई नोटिस दिए निर्दोष व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया है।"

    उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पंचायत ने मुस्लिम समुदाय के सदस्यों का बहिष्कार करने का फैसला किया और मुस्लिम समुदाय को मकान, दुकानें और प्रतिष्ठान किराए पर देने से इनकार करने की अपील की।

    ग्रामीण सड़क विक्रेताओं को गांवों में प्रवेश देने से पहले उनके पहचान प्रमाण की भी जांच कर रहे हैं। आवेदक ने कहा, हरियाणा के तीन जिलों यानी महेंद्रगढ़, झज्जर और रेवाड़ी में सामूहिक रूप से पुलिस और जिला प्रशासन को पत्र लिखकर "मुस्लिम समुदाय के सदस्यों का बहिष्कार" करने के अपने फैसले के बारे में सूचित किया गया।

    आवेदक ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बिना किसी नोटिस के घरों को तोड़ना और वैकल्पिक आवास न देना ओल्गा टेलिस बनाम ग्रेटर बॉम्बे नगर निगम, 1985 में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन है।

    आवेदक का तर्क है, "तोड़फोड़ भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत जीवन के अधिकार का उल्लंघन है, जिसमें आजीविका का अधिकार भी शामिल है। यदि किसी व्यक्ति को उस स्थान से बेदखल कर दिया जाता है जहां वह अनधिकृत रूप से रह रहा है और उसकी झोपड़ी को ध्वस्त कर दिया जाता है तो उसे निश्चित रूप से वह अपनी आजीविका भी खो देगा, क्योंकि काम करने के लिए उसे कहीं न कहीं रहना होगा।"

    आवेदन में कहा गया है कि “ प्रभावित लोगों की ओर से आवेदक हाईकोर्ट के हस्तक्षेप की मांग कर रहा है…प्रतिवादियों के कृत्यों द्वारा उसके संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के उल्लंघन करके नल्लाहर और मेवात-नूह के अन्य क्षेत्रों के दशकों पुराने निवासियों को कानून की प्रक्रिया और प्राकृतिक न्याय के नियमों का पालन किए बिना अपने घरों से जबरदस्ती बेदखल किया जा रहा है।

    सांप्रदायिक हिंसा प्रभावित नूंह और गुरुग्राम में हरियाणा के अधिकारियों द्वारा किए गए विध्वंस अभियान पर रोक लगाते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कल एक गंभीर टिप्पणी की , कि क्या नूंह और गुड़गांव में किसी विशेष समुदाय की इमारतों को गिराया जा रहा है। अदालत ने पूछा, कानून और व्यवस्था की समस्या की आड़ में अधिकारी और "राज्य द्वारा जातीय सफाए की कवायद की जा रही है।"

    कोर्ट ने कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि ''हरियाणा राज्य बल प्रयोग कर रहा है और इमारतों को इस तथ्य के कारण ध्वस्त कर रहा है कि गुरुग्राम और नूंह में कुछ दंगे हुए हैं।''

    कोर्ट ने कहा, "जाहिर तौर पर, बिना किसी विध्वंस आदेश और नोटिस के, कानून और व्यवस्था की समस्या का इस्तेमाल कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन किए बिना इमारतों को गिराने के लिए किया जा रहा है।"

    केस टाइटल : कोर्ट ऑन इट्स मोशन बनाम हरियाणा राज्य

    आवेदक के वकील: मोहम्मद अरशद




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