गुजरात हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों से कहा, सरकारी दर स्वीकार करें नहीं तो लाइसेंस होगा रद्द

LiveLaw News Network

23 May 2020 12:19 AM GMT

  • गुजरात हाईकोर्ट ने निजी अस्पतालों से कहा,  सरकारी दर स्वीकार करें नहीं तो लाइसेंस होगा रद्द

    Gujarat High Court

    गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अहमदाबाद और उसके बाहरी हिस्से में स्थित सभी निजी अस्पताल फ़ीस के बारे में कोई प्रक्रिया निर्धारित करें।

    पीठ ने कहा,

    "किसी भी क़ीमत पर निजी अस्पतालों को COVID 19 के इलाज के लिए भारी राशि वसूलने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए। यह मुश्किल भरा समय है न कि व्यवसाय से मुनाफ़ा कमाने का। अभी जिस तरह के समय है उसमें चिकित्सा सेवा सर्वाधिक आवश्यक सेवा है और निजी अस्पताल मरीज़ों से लाखों रुपए नहीं वसूल सकते।"

    पीठ ने कहा कि निजी अस्पताओं को COVID 19 के इलाज की अनुमति दी जानी चाहिए और इनके दर की निगरानी राज्य सरकार करेगी। अदालत ने कहा कि इस कठिन समय में इस महामारी के इलाज का खर्च, भले ही निजी क्षेत्र ही क्यों न करे, ऐसा होना चाहिए जो सब दे सकें।

    कोर्ट ने कहा,

    "अगर निजी अस्पताल यह बात नहीं मानते हैं और लोगों से ज़्यादा पैसा लेने पर आमादा हैं तो उस स्थिति में अदालत को ऐसे अस्पतालों के ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करनी पड़ेगी और इसका परिणाम उनके लिए कटु हो सकता है और लाइसेंस तक रद्द हो सकता है।"

    अदालत ने लोगों के भूखे रहने, इलाज के लिए ज़्यादा पैसे लिए एवं प्रवासी श्रमिकों को पेश आनेवाली मुश्किलों जैसे सभी मामलों का संज्ञान लिया और एएसजी से कहा कि वह राज्य सरकार के साथ इन मुद्दों को उठाएं।

    [1] 'राज्य सरकार गुजरात राज्य परिवहन विभाग की 8000 से अधिक बसों को क्यों नहीं चला रही है? यह मामला इस संदर्भ में उठा कि मज़दूरों को ले जाने के लिए लक्ज़री बसों का प्रयोग हो रहा है और इन बसों के टिकट के बदले मज़दूरों से भारी राशि माँगी जा रही है।

    [2] 'निर्माण श्रमिकों के लिए बनाए गए रेरा फंड का प्रयोग श्रमिकों के कल्याण के लिए क्यों नहीं हो रहा है?

    [3] अपने घर जाने की इच्छा रखने वाले किसी व्यक्ति से सरकार टिकट क्यों ले रही है? सरकार इसका खर्चा क्यों नहीं उठा रही है?

    [4] सरकारी अधिकारी कम्यूनिटी हॉल्ज़, शादी के हॉल्ज़, स्कूल आदि का प्रयोग प्रवासी एवं अन्य मज़दूरों को ठहराने और क्वारंटाइन सेंटर के लिए क्यों नहीं कर रही है?

    [5] अगर प्रवासी मज़दूर अपने घर जाना चाहते हैं तो उनके ठेकेदार और नियोक्ता को उनके टिकट का पैसा देने को कहा जाए और अगर ठेकेदार मना करता है तो सरकार को यह खर्च वहन करना चाहिए।

    [6] कोरोना वायरस के मरीज़ों को अस्पताल से रिहा करने के बारे में जो नीति है उसको लेकर चिंता जतायी जा रही है। यह कहा गया है कि मरीज़ों को छोड़ने के दौरान उनकी कोई जाँच नहीं की जाती है।

    [7] राज्य के अधिकारियों को चाहिए कि वे N95 मास्क का इंतज़ाम करें। सभी स्वास्थ्यकर्मियों को N95 मास्क उपलब्ध कराया जाए और आम लोगों को भी उनकी सुरक्षा के लिए यह उपलब्ध कराया जाए।

    [8] समय आ गया है जब राज्य के अधिकारियों को बाल बनवाने के लिए सैलूनों को खोलने की इजाज़त देनी चाहिए।

    [9] बिजली मिस्त्री और अन्य तकनीकी सेवाएँ देनेवाले लोगों की सेवाएँ बहाल की जानी चाहिए।

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