वकीलों को लोकल ट्रेन में यात्रा की इजाज़त फिलहाल नहीं दी जा सकती : वकीलों के प्रतिनिधित्व पर राज्य ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा
LiveLaw News Network
10 Aug 2020 1:32 PM IST
राज्य सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट से शुक्रवार को कहा कि बार के सदस्यों ने याचिका दायर कर वकीलों को लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति देने की जो अनुमति मांगी थी, इस समय कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति के कारण उसे नहीं स्वीकार किया जा सकता। राज्य सरकार ने अपने वक़ील के माध्यम से कहा कि सचिव, राज्य आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास ने इस आग्रह को मानने से इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपंकर दत्ता और न्यायमूर्ति एएस गड़करी की खंडपीठ से एडवोकेट जनरल एए कुंभकोनी ने कहा कि उक्त अधिकारियों ने 31 जुलाई को जारी आदेश के पालन के बारे में इस आग्रह पर ग़ौर किया और उसे इस पीठ के समक्ष रखा।
5 अगस्त को शुरू में ही सचिव ने यह स्पष्ट कर दिया था कि न्याय तक पहुंच मौलिक अधिकार है और वक़ील न्यायिक व्यवस्था के आवश्यक हिस्सा हैं जो न्याय दिलाने के कार्य को समर्पित है, जैसा कि पीठ ने 31 जुलाई को कहा जबकि ऐसा लगा कि राज्य सरकार इस आग्रह पर निर्णय को टाल रही है।
इस आदेश में कहा गया,
"…महाराष्ट्र में 2 अगस्त 2020 तक COVID-19 के कुल मामले 4,31,719 थे और इसके कारण 15,316 लोगों की मौत हो गई है। इनमें से सिर्फ़ मुंबई में ही संक्रमित लोगों की कुल संख्या 1,15,331 है और मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में 94,564 मामले हुए हैं और 9110 लोगों की मौत हो चुकी है। उक्त स्थिति को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता और इसे उचित संदर्भ में गंभीरता से लेना चाहिए विशेषकर जो मामला सामने है।"
इस तरह यात्रा के बारे में प्रतिबंधों में वर्तमान सहूलियत को देखते हुए सचिव ने कहा कि वक़ील निजी वाहनों, दुपहिया वाहनों या टैक्सी सहित कार से यात्रा कर सकते हैं।
सचिव ने कहा,
"मुंबई और एमएमआर में जो विशेष स्थिति व्याप्त है, उसको देखते हुए फ़्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और स्टाफ़ को यात्रा की सुविधाएँ मुहैया कराना राज्य सरकार की वरीयता की सूची में सबसे ऊपर है। जहां तक दूसरे कार्यालयों के कर्मचारियों जैसे कि राष्ट्रीयकृत बैंकों, जीएसटी, सीमा शुल्क, डाक विभाग, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, पीएसयू की बात है, इनकी ज़रूरत है क्योंकि ये सभी लोग अर्थव्यवस्था को सामान्य बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिस पर COVID-19 के कारण सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ा है।"
सचिव ने कहा कि न्यायपालिका के स्टाफ़ को लोकल ट्रेन से यात्रा की अनुमति देने के बारे में सचिव ने कहा, "इनकी मदद के बिना हाईकोर्ट के जज काम नहीं कर सकते, जहां तक सरकारी वकीलों के कार्यालय के कर्मचारियों की बात है, यह सच है कि ये सभी राज्य के कर्मचारी हैं और क़ानून और न्याय विभाग के तहत काम करते हैं। इसलिए राज्य सरकार के अन्य कर्मचारियों की तरह, उन्हें भी लोकल ट्रेन की सेवाओं के प्रयोग की अनुमति है।
मंत्रालय के कार्यालय भी पूरी क्षमता में काम नहीं कर रहे हैं और ज़रूरत से ज़्यादा भीड़ को रोकने के लिए इन कार्यालयों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
सचिव ने कहा कि बॉम्बे सिटी सिविल कोर्ट, बीपीसीएल, एलआईसी, एमटीएनएल, एफ़डीए, बीएसएनएल और एमटीएनएल आदि के स्टाफ़ ने भी लोकल ट्रेन की सुविधा का उपयोग करने का आदेश दिए जाने की मांग की है।
आदेश में कहा गया, "…महामारी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए सिर्फ़ जिन सेवाप्रदाताओं की सेवा सर्वाधिक प्राथमिकतावाला है और जिनको रोका नहीं जा सकता उनको लोकल ट्रेनों से यात्रा करने की अनुमति दी गई है ताकि ट्रेनों के अंदर ज़्यादा भीड़भाड़ नहीं हो जो अंततः संक्रमण को रोकने में मदद करेगा।"
वक़ील शायम देवनी, उदय वरंजिकर और पार्थ ज़वेरी ने याचिकाकर्ताओं की पैरवी की।