अदालत के आदेश की बार बार अनदेखी करने वाले ज़िला कलेक्टर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भेजा अवमानना का नोटिस

LiveLaw News Network

28 May 2020 4:33 AM GMT

  • अदालत के आदेश की बार बार अनदेखी करने वाले ज़िला कलेक्टर को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भेजा अवमानना का नोटिस

    Madhya Pradesh High Court

    मध्य प्रदेश के अनूपपुर के ज़िला कलेक्टर के ख़िलाफ़ मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अवमानना का नोटिस भेजा है। अदालत का कहना है कि कलेक्टर ने कई मौक़ों पर उसके आदेशों को नहीं माना है।

    न्यायमूर्ति विशाल धागत की पीठ ने कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर की बिना शर्त माफ़ी को अस्वीकार करत हुए कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जब कलेक्टर ने एक ग़लती की हो।

    हाईकोर्ट ने 30 अगस्त 2019 को याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ ट्रांसफर के आदेश को स्थगित कर दिया था जो अनूपपुर में आदिवासी कल्याण के सहायक आयुक्त के पद पर तैनात था। अदालत ने यह भी कहा था कि अगर याचिकाकर्ता को उसके नए स्थान के लिए भेज दिया गया है और किसी और व्यक्ति को उसकी जगह लाया गया है तो भी याचिकाकर्ता को अपनी पदस्थापना की जगह पर काम करने देना चाहिए।

    लेकिन अदालत ने कहा कि ठाकुर ने चार मौक़ों पर न्यायिक आदेशों को नज़रंदाज़ किया :

    · पहली बार 9 सितम्बर 2019 को एक नोट जारी किया और कहा कि वह पद किसी डीएस रावत को दे दया गया है याचिकाकर्ता को उस ज़िला में अपनी नौकरी ज्वाइन करने को कहा जिसके बारे में सरकारी आदेश में कहा गया है।

    · दूसरा, 6 दिसंबर 2019 को याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ दूसरा ट्रांसफर आदेश जारी किया गया और उसे बड़वानी ज़िला में अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने को कहा गया। अदालत ने 16 दिसंबर 2019 को इस पर रोक लगा दी और याचिकाकर्ता ने 20 दिसंबर 2019 को अनूपपुर में चार्ज संभाल लिया।

    · तीसरा, याचिकाकर्ता को ऑफ़िस में बैठने से रोकने के लिए ठाकुर के अधीन काम करने वाले एसडीओ ने सहायक आयुक्त, आदिवासी कल्याण के अनूपपुर ऑफ़िस को 22 दिसंबर 2019 को सील कर दिया।

    · अंत में, संभागीय आयुक्त के इस निर्देश के बावजूद कि हाईकोर्ट ने 30 अगस्त 2019 को जो आदेश दिया है उसका पालन होना चाहिए, ठाकुर ने किसी विवेक पांडे को अनूपपुर में आदिवासी कल्याण के सहायक आयुक्त के पद पर बिठा दिया।

    हालांकि ठाकुर ने पीठ से कहा कि उस नोट को वापस ले लिया गया है इसके बावजूद अदालत ने उसके ख़िलाफ़ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर दी।

    अदालत ने कहा,

    "यह कोई ऐसा मामला नहीं है कि कलेक्टर ने कोई एक गलती की है और उसके बाद उसने अपना नोट शीट वापस ले लिया है। नोट सीट जारी करने के बाद कलेक्टर के कहने पर एसडओ ने आदिवासी मामलों के सहायक आयुक्त का ऑफ़िस भी सील कर दिया…और उसे आदिवासी कल्याण के सहायक आयुक्त के पद पर काम नहीं करने दिया। प्रतिवादी नंबर 1 का काम अवमाननापूर्ण है। उसने खुलेआम, स्वेच्छा से और जानबूझकर 30/08/2019 को इस अदालत ने जो आदेश पास किया उसका उल्लंघन किया है।"

    अदालत ने कलेक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया और पूछा कि न्यायिक आदेश को जानबूझकर नहीं मानने के लिए क्यों नहीं उन्हे दंडित किया जाए।

    अदालत ने कहा,

    "इस अदालत ने पाया है कि प्रतिवादी नंबर 1 चंद्र मोहन ठाकुर, कलेक्टर अनूपपुर ने इस अदालत के 30/08/2019 के आदेश को जानबूझकर नहीं पालन कर अदालत की अवमानना की है।"

    अपने आदेश में अदालत ने रजिस्ट्री को कलेक्टर को अदालत की अवमानना करने के लिए सज़ा सुनने को अगली सुनवाई के दिन अदालत में उपस्थित रहने का नोटिस भेजने को कहा है।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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