दिल्ली हाईकोर्ट ने मनिका बत्रा की याचिका पर टेबल टेनिस फेडरेशन से कहा, 'कदाचार का कोई सवाल नहीं, उसे क्लीन चिट दें'

LiveLaw News Network

16 Nov 2021 9:45 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने मनिका बत्रा की याचिका पर टेबल टेनिस फेडरेशन से कहा, कदाचार का कोई सवाल नहीं, उसे क्लीन चिट दें

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया से खिलाड़ी मनिका बत्रा को क्लीन चिट देने को कहा। बत्रा ने 25वीं आईटीटीएफ एशियाई टेबल टेनिस चैंपियनशिप, 2021 के लिए चयन नहीं होने के बाद राष्ट्रीय खेल निकाय के खिलाफ शिकायत की थी।

    बत्रा ने आरोप लगाया था कि राष्ट्रीय कोच सौम्यदीप रॉय ने ओलंपिक, 2020 के लिए क्वालीफाई करने के लिए अपने एक प्रशिक्षु (अपनी निजी अकादमी में) की मदद करने के लिए बत्रा पर एक मैच "छोड़ने" के लिए दबाव डाला था। इस प्रकार उन्होंने फेडरेशन के प्रबंधन से इस मामले और रॉय के आचरण की जांच की मांग की।

    न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने सीलबंद लिफाफे में दायर रिपोर्ट का अध्ययन किया और कहा कि बत्रा की ओर से किसी भी कदाचार का कोई सवाल ही नहीं है।

    न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने ही पहले केंद्र सरकार को बत्रा द्वारा लगाए गए आरोपों की स्वतंत्र जांच करने का निर्देश दिया था।

    कोर्ट ने टीटीएफआई के कामकाज पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि देश खिलाड़ियों को उनकी शिकायतों के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाने का जोखिम नहीं उठाना चाहिए।

    कोर्ट ने टीटीएफआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा,

    "क्या आपका फेडरेशन स्टैंड लेने और उसने कहने के लिए तैयार है कि उन्हें जो भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, फेडरेशन इसे वापस लेने के लिए तैयार है? मैंने खेल मंत्रालय द्वारा दायर की गई जांच रिपोर्ट देखी है। विचार चीजों को हल करने का है। वह मैचों पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।"

    कोर्ट ने यह भी कहा,

    "बहुत कुछ कहा जाना है। आपका फेडरेशन जिस तरह से काम कर रहा है, मैं उससे खुश नहीं हूं। आप कुछ नहीं से मुद्दे बना रहे हैं। आप बिना किसी कारण के एक खिलाड़ी को परेशान करने की कोशिश कर रहे हैं।"

    बत्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सचिन दत्ता ने कहा कि कोर्ट के आदेश के अनुसार, टीटीएफआई ने उसी तारीख को कोर्ट से आगे निकलने के प्रयास में अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस महासंघ से संपर्क करके बत्रा द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जांच करने का अनुरोध किया।

    तदनुसार, उन्होंने हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र जांच और मामले में एक प्रशासक की नियुक्ति के लिए प्रार्थना की।

    दूसरी ओर, टीटीएफआई की ओर से पेश हुए वकील ने यह कहते हुए उक्त तर्क का खंडन किया कि उक्त पत्राचार करते समय उसकी ओर से कोई दुर्भावना नहीं थी।

    यह देखते हुए कि उक्त मुद्दे पर कोर्ट द्वारा पत्राचार पर विचार करने के बाद विचार किया जाएगा, कोर्ट उक्त पत्राचार को एक दिन के भीतर रिकॉर्ड में लाया जा सकता है। मामले को अब आगे की सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की गई है। कोर्ट ने टीटीएफआई के वकील को मामले में उचित निर्देश लेने का समय भी दिया।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर फेडरेशन इस मुद्दे को हल करने की कोशिश करने के लिए अपनी टिप्पणियों से संकेत नहीं लेता है तो वह इस मामले में स्वत: अवमानना ​​शुरू करने से नहीं कतराएगा।

    गौरतलब है कि बत्रा ने निजी कोच की मांग की है।

    उनकी याचिका में कहा गया,

    "टेबल टेनिस एक व्यक्तिगत खेल है। इसके लिए सहायक कर्मचारियों के साथ विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। केवल व्यक्तिगत कोच ही ताकत, कमजोरी, कौशल और क्षेत्रों को जान सकता है, जिन पर एक खिलाड़ी को ध्यान केंद्रित करना चाहिए और खुद को मजबूत करना चाहिए। हालांकि, ये नियम किसी व्यक्तिगत कोच/सहायक कर्मचारी की अनुमति नहीं देते हैं। इसलिए, 04.08.2021 के नियम मनमानी, तर्कहीन, बेतुके हैं और टेबल टेनिस जैसे व्यक्तिगत खेल में उत्कृष्टता हासिल करने के साथ कोई संबंध नहीं है।"

    उक्त नियमों की आलोचना करते हुए याचिका में आगे कहा गया कि अपने सहयोगी स्टाफ के साथ ट्रेनिंग ले रही खिलाड़ी पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और यदि नियमों को रद्द नहीं किया गया तो उसका प्रदर्शन गंभीर रूप से प्रभावित होगा।

    केस शीर्षक: मनिका बत्रा बनाम टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया और अन्य।

    Next Story