पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं: केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया

LiveLaw News Network

8 April 2022 7:00 AM GMT

  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने का कोई प्रस्ताव लंबित नहीं: केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया

    कानून और न्याय मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच की स्थापना के संबंध में कोई भी पूर्ण प्रस्ताव सरकार के पास लंबित नहीं है।

    यह जानकारी केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिज्जू ने मेरठ में हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना के संबंध में सांसद विजय पाल सिंह तोमर द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में दी।

    सांसद तोमर द्वारा निम्नलिखित तीन सवाल पूछे गए-

    (क) क्या सरकार का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मेरठ में हाईकोर्ट की बेंच बनाने का कोई विचार है;

    (ख) यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है; और

    (ग) यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?

    इन सवालों के जवाब में केंद्रीय कानून मंत्री ने जवाब दिया:

    "हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना जसवंत सिंह आयोग द्वारा की गई सिफारिशों, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2000 के डब्ल्यू.पी. (सी) संख्या 379 में सुनाए गए निर्णय के अनुसार और राज्य सरकार के पूर्ण प्रस्ताव पर विचार करने के बाद की जाती है। आवश्यक व्यय, ढांचागत सुविधाएं और हाईकोर्ट के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन की देखभाल करने वाले संबंधित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस आवश्यक हैं। इसके साथ ही बेंच स्थापना के प्रस्ताव को संबंधित राज्य के राज्यपाल की सहमति भी होनी चाहिए।

    वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मेरठ में इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ की स्थापना के संबंध में कोई पूर्ण प्रस्ताव सरकार के पास लंबित नहीं है।

    उल्लेखनीय है कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा पिछले साल आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना के संबंध में दिए गए एक बयान की गलत व्याख्या की गई। इससे अनावश्यक विवाद हुआ था।

    विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले साल आगरा में एक खेल आयोजन में बोलते हुए रिजिजू ने कहा कि केंद्र सरकार आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच स्थापित करने की व्यवहार्यता की जांच कर रही है। हालांकि, केंद्रीय कानून मंत्री ने बाद में ने ऐसा कोई बयान देने से इनकार किया।

    वास्तव में इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एल्डर्स कमेटी ने एक प्रस्ताव/सार्वजनिक बयान भी जारी किया। इसमें आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट बेंच के निर्माण के संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बयान को 'बचकाना' और 'राजनीति से प्रेरित' बताया गया।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एल्डर्स कमेटी ने एक सार्वजनिक बयान जारी करते हुए कहा कि उसने आगरा में माननीय हाईकोर्ट की बेंच बनाने के संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री के बयान को चिंता के साथ संज्ञान में लिया है।

    हालांकि, इसके तुरंत बाद केंद्रीय कानून मंत्री ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि उन्होंने आगरा में इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच की स्थापना के संबंध में कभी कोई बयान नहीं दिया।

    दिलचस्प बात यह है कि जब लाइव लॉ द्वारा इस संबंध में एक रिपोर्ट [इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एल्डर्स कमेटी रिजॉल्यूशन] प्रकाशित की गई तो केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजुजू ने लाइव लॉ की रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्विटर पर निम्नलिखित बयान जारी किया:

    "मैं इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एल्डर्स कमेटी के बयान की कड़ी निंदा करता हूं। मैंने एचसी बेंच के विषय पर कभी कोई बयान नहीं दिया। जब आगरा में मुझे एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया तो मैंने केवल इतना कहा कि सरकार ज्ञापन पर गौर करेगी।"

    संबंधित समाचार में, नवंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की स्थायी बेंच की स्थापना की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था।

    सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने एनजीओ-फाइट फॉर ह्यूमन राइट्स द्वारा दायर रिट याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह न्यायिक निर्धारण और निर्देशों का विषय नहीं हो सकता।

    कानून मंत्री का जवाब डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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