"किसी को भी वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता": गुवाहाटी हाईकोर्ट ने स्कूलों, कॉलेजों को फिर से खोलने के लिए राज्य सरकार के एसओपी को संशोधित किया

LiveLaw News Network

30 July 2021 11:06 AM GMT

  • किसी को भी वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने स्कूलों, कॉलेजों को फिर से खोलने के लिए राज्य सरकार के एसओपी को संशोधित किया

    Gauhati High Court

    गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा बेंच ने राज्य सरकार के एसओपी को संशोधित करते हुए कहा कि राज्य में स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोलने के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ जो टीककरण नहीं करवाना चाहते हैं उन्हें हर 15 दिनों में अनिवार्य रूप से टेस्ट कराने का विकल्प दिया जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि किसी को भी अनिवार्य रूप से टीका नहीं लगाया जा सकता है।

    न्यायमूर्ति सोंगखुपचुंग सर्टो और न्यायमूर्ति एस हुकातो स्वू की खंडपीठ ने नागालैंड सरकार के प्रधान सचिव को निर्देश दिया कि वह राज्य द्वारा जारी दो एसओपी में प्रासंगिक पैराग्राफ को संशोधित करें, जिसमें मूल रूप से कहा गया है कि स्कूल और कॉलेज खोलने के लिए टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को पूरी तरह से टीका लगाया जाना चाहिए या स्कूल शुरू होने से 15 दिन पहले टीके की पहली डोज लेनी होगी।

    पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उक्त एसओपी को संशोधित करने की प्रार्थना की मांग की गई थी कि जो लोग टीकाकरण नहीं कराना चाहते हैं उन्हें हर 15 दिनों में अनिवार्य रूप टेस्ट कराने का विकल्प दिया जा सकता है।

    कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए कहा कि,

    "अधिवक्ताओं की दलीलों पर विचार करने के बाद और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि किसी को अनिवार्य रूप से टीकाकरण नहीं किया जा सकता है, हमारा विचार है कि जिस विकल्प के लिए प्रार्थना की गई है, उसे प्रदान किया जा सकता है।"

    न्यायालय राज्य में COVID-19 के बढ़ते मामले और महामारी की स्थिति से संबंधित विभिन्न पहलुओं की निगरानी के मद्देनजर न्यायालय द्वारा दर्ज स्वत: संज्ञान मामले के साथ उक्त जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

    कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को दुकानदारों और सब्जी विक्रेताओं सहित समाज के कमजोर वर्ग को टीकाकरण में प्राथमिकता देने के लिए 'व्यावहारिक कदम' उठाने का निर्देश देने वाले न्यायालय के पहले के आदेश के संदर्भ में राज्य द्वारा एक हलफनामा दायर किया गया है।

    अदालत ने कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर उपरोक्त पहलुओं पर विचार करेगी क्योंकि सुनवाई की तारीख को हलफनामा दायर किया गया है।

    कोर्ट ने इसके अलावा राज्य को यह भी निर्देश दिया कि वह एक हलफनामा दाखिल करें जिसमें वायरस के प्रसार को रोकने के लिए और उन जिलों में पहले से संक्रमित लोगों के इलाज के लिए उठाए गए कदम बताया जाए।

    न्यायालय ने उपरोक्त चर्चा के साथ मामले को आगे की सुनवाई के लिए 18 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया।

    कोर्ट ने इसके अतिरिक्त देखा कि यदि जल्द टीकाकरण नहीं किया जाता है, तो COVID-9 की तीसरी लहर आ सकती है। अदालत ने पहले केंद्र और राज्य सरकार को तीन महीने में टीकाकरण पूरा करने के लिए आवश्यक मात्रा में खुराक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने अवलोकन किया कि अगर राज्य को प्रभावी ढंग से COVID-19 के खिलाफ युद्ध लड़ना है और तीसरी लहर को आने से रोकना होगा और दूसरी लहर ने इतनी पीड़ा पैदा की है, तो हमें लगता है कि टीकाकरण में तेजी लाने और इसे जल्द से जल्द पूरा करने का एकमात्र तरीका है। हमने मीडिया में विशेषज्ञों द्वारा व्यक्त की गई राय पढ़ी, जिसमें कहा गया है कि यदि टीकाकरण तेजी से नहीं किया जाता है और उचित COVID-19 प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है तो COVID-19 की तीसरी लहर आ सकती है।

    केस का शीर्षक: इन री कोहिमा, नागालैंड बनाम नागालैंड राज्य एंड पांच अन्य

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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