फोन टैपिंग मामला- 'आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ 25 मार्च तक कोई कठोर कार्रवाई न की जाए': बॉम्बे हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

4 March 2022 3:38 PM IST

  • फोन टैपिंग मामला- आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ 25 मार्च तक कोई कठोर कार्रवाई न की जाए: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने शुक्रवार को वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला को अंतरिम राहत दी।

    कोर्ट ने पुणे पुलिस को निर्देश दिया कि 2015- 2019 के बीच कथित तौर पर राजनेताओं के फोन टैप करने के मामले में दर्ज प्राथमिकी में अगले आदेश तक उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई न करें।

    जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनआर बोरकर की खंडपीठ ने शुक्ला को सीआरपीसी की धारा 226 के साथ पठित धारा 482 के तहत दायर याचिका में राहत दी, जिसमें बुंद गार्डन पुलिस स्टेशन पुणे में भारतीय टेलीग्राफ एक्ट की धारा 26 के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी।

    अदालत ने कहा,

    "प्रथम दृष्टया मामला सुरक्षा के लिए बनाया गया है।"

    राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि उनका फोन 2016-2017 के दौरान इस बहाने टैप किया गया था कि "नशीले पदार्थों की तस्करी" मामले में शामिल एक अमजद खान का नाम उनसे जुड़ा हुआ है।

    पटोले ने आगे आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री रोसाहेब दानवे के निजी सहायक, तत्कालीन भाजपा सांसद संजय काकड़े और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों के फोन टैप किए गए।

    आरोपों की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति की अध्यक्षता आईपीएस अधिकारी संजय पांडे, तत्कालीन पुलिस महानिदेशक, महाराष्ट्र ने की थी।

    शुक्ला के खिलाफ 26 फरवरी को भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत 2015 और 2019 के बीच राजनेताओं के फोन की कथित अवैध टैपिंग के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

    शुक्रवार को सुनवाई के दौरान शुक्ला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि उनके खिलाफ तीन साल बाद प्राथमिकी दर्ज की गई है।

    उन्होंने कहा कि वह केवल पुणे शहर में नशीले पदार्थों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए निगरानी की मंजूरी देने में शामिल थीं।

    जेठमलानी ने आगे कहा कि इस निगरानी की प्रक्रिया में कई अधिकारी शामिल थे, लेकिन उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।

    पुणे पुलिस के लोक अभियोजक जेपी याज्ञनिक ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा।

    अदालत ने उन्हें समय देते हुए अधिकारी के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया।

    प्राथमिकी रद्द करने की मांग करते हुए आईपीएस अधिकारी ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया जा रहा है और वह राजनीतिक प्रतिशोध की शिकार हो रही हैं।

    दिसंबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फोन टैपिंग पर शुक्ला द्वारा तैयार की गई गोपनीय रिपोर्ट को लीक करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक अन्य प्राथमिकी को रद्द करने से इनकार कर दिया।

    हालांकि अदालत ने याचिका को खारिज नहीं किया, लेकिन पुलिस को निर्देश दिया कि अगर वे मामले में आरोपी को पेश करना चाहते हैं तो एक सप्ताह का नोटिस दें।

    केस टाइटल: रश्मि शुक्ला बनाम महाराष्ट्र राज्य

    उपस्थिति: वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी, अधिवक्ता गुंजन मंगला, उत्सव त्रिवेदी और सिद्धार्थ धर्माधिकारी रश्मि शुक्ला के लिए पेश हुए; लोक अभियोजक जेपी याज्ञिक राज्य के लिए पेश हुए।

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