'वक्फ एक्ट के प्रावधानों को चुनौती देने वाली करीब 120 याचिकाएं विभिन्न अदालतों में लंबित': केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा
Brij Nandan
22 March 2023 3:06 PM IST
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली लगभग 120 याचिकाएं देश भर की विभिन्न अदालतों के समक्ष लंबित हैं।
अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए केंद्र सरकार की तरफ से दायर आवेदन में ये प्रस्तुत किया गया।
केंद्र ने ये भी प्रस्तुत किया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 139 (ए) के तहत उपाध्याय द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक ट्रांसफर याचिका दायर की गई है जो कि निर्णय के लिए लंबित है।
केंद्र सरकार ने कहा,
"वक्फ अधिनियम, 1995 की विभिन्न धाराओं को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को ध्यान में रखते हुए, प्रतिवादियों/आवेदकों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि एक स्पष्ट और सुसंगत दृष्टिकोण लिया जाए। इसमें याचिकाओं की गहन जांच, सरकारी परामर्शदाताओं द्वारा परामर्श/पुनरीक्षण और राज्य सरकारों जैसे हितधारकों पर विचार-विमर्श शामिल है। ये प्रस्तुत किया गया है कि ज्यादातर मामलों में जवाबी हलफनामा अभी तक दाखिल नहीं किया गया है।“
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सचिन दत्ता की खंडपीठ ने 26 जुलाई को अगली सुनवाई के लिए जनहित याचिका को सूचीबद्ध करते हुए केंद्र सरकार के सरकारी वकील कीर्तिमान सिंह को सभी मामलों के ट्रांसफर और समेकन पर निर्देश लेने के लिए समय दिया।
अदालत ने मामले में याचिका दायर करने के लिए दिल्ली वक्फ बोर्ड को दो सप्ताह का समय भी दिया।
उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में केंद्र या भारत के विधि आयोग को अनुच्छेद 14 और 15 की भावना में 'ट्रस्ट-ट्रस्टी और चैरिटी-चैरिटेबल संस्थानों के लिए एक समान कानून' का मसौदा तैयार करने और इसे सार्वजनिक बहस के लिए प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
याचिका वक्फ अधिनियम 1995 के प्रावधानों की वैधता को चुनौती देती है, जिसमें कहा गया है कि वे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की आड़ में बने हैं, लेकिन हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, यहूदी धर्म, बहावाद, पारसी धर्म और ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए समान कानून नहीं हैं।
याचिका में कहा गया है कि इसलिए, यह धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्र की एकता और अखंडता के खिलाफ है।
जनहित याचिका पर पिछले साल अप्रैल में नोटिस जारी किया गया था।
केस टाइटल: अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ और अन्य