सांसद अमृतपाल सिंह को संसद के शीतकालीन सत्र में जाने से रोकने पर हाईकोर्ट में याचिका

Amir Ahmad

29 Nov 2025 1:05 PM IST

  • सांसद अमृतपाल सिंह को संसद के शीतकालीन सत्र में जाने से रोकने पर हाईकोर्ट में याचिका

    राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत निरुद्ध तथा मौजूदा सांसद अमृतपाल सिंह ने पंजाब सरकार द्वारा शीतकालीन सत्र में भाग लेने के लिए पैरोल देने से इनकार किए जाने को चुनौती देते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने राज्य सरकार के उस आदेश को रद्द कराने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की, जिसके जरिए उनकी अस्थायी रिहाई या पैरोल का आवेदन खारिज कर दिया गया।

    इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार और पंजाब सरकार को निर्देश दिए जाने की मांग की कि उन्हें 01 दिसंबर से 19 दिसंबर, 2025 तक संसद के शीतकालीन सत्र में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की अनुमति दी जाए और इसके लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं।

    इससे पहले हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को अमृतपाल सिंह की याचिका पर सात दिनों के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार द्वारा पैरोल से इनकार किए जाने के बाद अब अमृतपाल सिंह ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी है।

    याचिका में बताया गया कि अमृतपाल सिंह पंजाब के खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित सांसद हैं और इस समय असम के डिब्रूगढ़ केंद्रीय कारागार में बंद हैं। वे लगभग उन्नीस लाख मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और संसद में अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठाना चाहते हैं ताकि लोकतंत्र की भावना और संविधान के अनुरूप जनता की आवाज को सदन में रखा जा सके।

    अमृतपाल सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि सांसद के रूप में शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए उन्हें पहले पैरोल दी जा चुकी थी, जिसके तहत वह दिल्ली गए। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के एक पूर्व निर्णय का हवाला दिया, जिसमें अन्य सांसद को हिरासत में रहते हुए भी संसद के बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति दी गई।

    याचिका में अमृतपाल सिंह ने खुद को शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाला नागरिक बताते हुए कहा कि उनकी लगभग तीन वर्षों से जारी निरोधात्मक हिरासत अब दंडात्मक स्वरूप ले चुकी है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 101 का भी संदर्भ दिया, जिसके अनुसार किसी सांसद की साठ दिनों तक अनुपस्थिति रहने पर सदन उसकी सीट रिक्त घोषित कर सकता है।

    मामले का उल्लेख हाईकोर्ट के समक्ष 28 नवंबर को तात्कालिक सुनवाई के लिए किया गया और संभावना है कि इसे शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।

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