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मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम के प्रावधान केवल पति के खिलाफ लागू होते हैं, ससुराल वालों के खिलाफ नहीं : एमपी हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के प्रावधान केवल पति के खिलाफ लागू होते हैं, न कि ससुराल वालों के खिलाफ।
अधिनियम की धारा 3 में घोषणा की गई है कि किसी भी मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी को शब्दों द्वारा बोलकर या तो लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप में या किसी अन्य तरीके से उच्चारण करके तलाक देना शून्य और गैरकानूनी होगा।
कोई भी मुस्लिम पति जो अपनी पत्नी को धारा 3 के उल्लेख उच्चारण द्वारा तलाक देता है, उसे ऐसे शब्द के उच्चारण के लिए कारावास से दंडित किया जा सकता है जो तीन साल तक बढ़ सकता है और उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। (धारा 4)
इस मामले में आरोपी ने हाईकोर्ट से भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए, दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4, और मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दर्ज अपराध में अग्रिम जमानत की मांग की थी।
आरोपियों में से दो शिकायतकर्ता के ससुराल वाले थे। उनके खिलाफ आरोप दहेज की मांग को लेकर थे। यह आरोप लगाया गया कि जब शिकायतकर्ता गर्भवती हो गई तो उसकी सास ने यह आरोप लगाना शुरू कर दिया कि शिकायतकर्ता बहुत पहले गर्भवती हो गई है और बच्चा उसके बेटे का नहीं है और यह कहते हुए पैसे मांगने लगा कि शिकायतकर्ता ने उन्हें पर्याप्त दहेज नहीं दिया है।
यह भी आरोप लगाया था कि उसके पति ने टेलीफोन पर तीन बार तालक का उच्चारण किया था।
उन्हें शर्तों के साथ अग्रिम जमानत की सुरक्षा प्रदान करते हुए न्यायमूर्ति शैलेन्द्र शुक्ला ने कहा,
" मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के प्रावधान केवल पति के खिलाफ लागू होते हैं, न कि ससुराल वालों के खिलाफ। यह स्पष्ट है कि कोई शारीरिक क्रूरता नहीं है और यह भी प्रतीत होता है कि प्रारंभिक गर्भावस्था विवाद का कारण बन गई और शिकायतकर्ता के अनुसार एक टेलीफोन कॉल था जिसमें शिकायतकर्ता के पति ने विवाह को समाप्त करने की मांग की है।"
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