मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को नोटिस जारी कर 'अच्छे व्यवहार के लिए बॉन्ड भरने' की मांग की

LiveLaw News Network

14 Oct 2020 11:30 AM GMT

  • मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को नोटिस जारी कर अच्छे व्यवहार के लिए बॉन्ड भरने की मांग की

    पालघर लिंचिंग मामले और बांद्रा प्रवासियों की घटना की कवरेज के दौरान सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

    यह नोटिस दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 108 के तहत कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियों का प्रयोग करते हुए सहायक पुलिस आयुक्त (वर्ली डिवीजन) सुधीर जाम्बावडेकर ने जारी किया है।

    धारा 108 सीआरपीसी के तहत एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति से "अच्छे व्यवहार के लिए सिक्योरिटी" की मांग कर सकता है, जिस पर सांप्रदायिक सद्भाव को प्रभावित करने वाली सामग्रियों के प्रकाशन जैसे कृत्यों का संदेह है।

    अर्नब को शुक्रवार को शाम चार बजे वर्ली डिवीजन के विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट व सहायक पुलिस आयुक्त के समक्ष पेश होने को कहा गया है।

    नोटिस में गोस्वामी से कहा गया है कि वे एक गारंटर के साथ एक वर्ष की अवधि के लिए ₹10 लाख का बांड प्रस्तुत करने का निर्देश नहीं देने के कारण बताएं जो समाज में सर्वविदित हैं और जो अपने व्यवहार को नियंत्रित कर सकते हैं।

    नोटिस में कुछ बयानों का हवाला देते हुए कहा गया है कि गोस्वामी ने रिपब्लिक भारत पर अपने शो "पूछता है भारत" के दौरान ये टिप्पणी की हैं।

    बताया जा रहा है कि गोस्वामी ने पूछा था कि क्या हिंदू होना और भगवा कपड़े पहनना अपराध है और क्या लोग चुप रह जाते अगर पीड़ित हिंदू नहीं होते?

    नोटिस में कहा गया है कि उनकी टिप्पणी से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक तनाव और घृणा पैदा हो सकती है और इस शो ने यूट्यूब पर कड़ी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं।

    नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि पालघर की घटना से पहले अर्नब गोस्वामी ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर इकट्ठा हुए प्रवासी मजदूरों की भीड़ के बारे में कथित तौर पर उत्तेजक टिप्पणियां की थीं।

    इससे पहले मुंबई पुलिस ने गोस्वामी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153A और 153B आईपीसी के तहत एफआईआर दर्ज की थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पालघर और बांद्रा की घटनाओं को सांप्रदायिक रूप दिया था।

    बॉम्बे उच्च न्यायालय ने यह देखने के बाद जांच पर रोक लगा दी कि अपराध प्रथम दृष्टया आकर्षित नहीं हैं।

    मुंबई पुलिस ने हाल ही में रिपब्लिक टीवी और दो अन्य चैनलों के खिलाफ टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स में कथित तौर पर छेड़खानी करने के आरोप में जांच भी शुरू की थी।

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