मुंबई कोर्ट ने कथित तौर पर 'क्लबहाउस' चैटरूम बनाने वाले लॉ के फाइनल ईयर के स्टूडेंट यश कुमार को जमानत दी

LiveLaw News Network

2 Feb 2022 12:17 PM IST

  • मुंबई कोर्ट ने कथित तौर पर क्लबहाउस चैटरूम बनाने वाले लॉ के फाइनल ईयर के स्टूडेंट यश कुमार को जमानत दी

    मुंबई में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने एमेटी यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंट यश कुमार को क्लबहाउस ऐप मामले में जमानत दे दी। यश कुमार को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया गया था। 'क्लबहाउस' चैट रूम में महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की जाती थी।

    यश कुमार जमानत पाने वाले तीन आरोपियों में पहला है। पुलिस ने उसे 20 जनवरी, 2022 को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। तीनों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए, 295ए, 354ए, 354डी और धारा 509 सपठित सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत गिरफ्तार किया गया था।

    19 जनवरी को दर्ज एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी और उसके बचपन की दोस्त की तस्वीरों का इस्तेमाल एक चैट रूम में किया गया था। इसके अलावा, पुलिस ने आरोप लगाया कि कुमार ने अक्टूबर, 2021 में "स्वाति जय अब्दुल" नामक एक चैट रूम बनाया था

    एक सह-आरोपी ने और चैट रूम बनाए, जिनमें मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए गए और आपत्तिजनक तस्वीरें शेयर की गईं। यह आरोप लगाया गया कि दो चैट रूम में 300 से अधिक मेंबर थे।

    अधिवक्ता गायत्री गोखले और अक्षय बाफना के माध्यम से जमानत की मांग करते हुए कुमार ने दलील दी कि उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि कुमार 22 वर्षीय एमेटी यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा है, जिसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।

    आवेदन में कहा गया,

    "आवेदक ने किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी भी महिला, धर्म और समुदाय के खिलाफ कोई मौखिक या लिखित अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है और आवेदक को अन्य व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्यों के लिए बलि का बकरा बनाया जा रहा है।"

    इसलिए, कुमार ने दावा किया कि उसके खिलाफ कोई भी धारा लागू नहीं होती।

    कुमार ने प्रस्तुत किया कि उसके खिलाफ एकमात्र आरोप चैट रूम बनाने का था। इस चैट रूम में एक विशेष समुदाय की महिलाओं का अपमान करने, उनकी तस्वीरें प्रसारित करने, उनका पीछा करने और उन्हें गाली देने के आरोप अन्य आरोपियों पर लगाए गए है। कुमार के वकीलों ने तर्क दिया कि कुमार किसी भी चैट रूम में न तो मॉडरेटर हैं और न ही होस्ट।

    कुमार के वकीलों ने इस बात से इनकार किया कि उसने चैट रूम भी बनाया है। इसके बजाय, उसने तर्क दिया कि कुछ व्यक्तियों द्वारा कुमार की तस्वीर का दुरुपयोग उसकी पहचान का उपयोग करके अवैध कार्य करने के लिए किया गया है। आरोपी ने संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी इसकी सूचना दी है।

    इसके अलावा, कुमार ने अपनी उपलब्धियों को यह बताने के लिए सूचीबद्ध किया कि उसने केवल समाज की भलाई में योगदान दिया और अपने करियर के और कानून बिरादरी में योगदान देने पर ध्यान केंद्रित किया।

    उसने कहा,

    "आवेदक को वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया और उसकी कैद के कारण उसका पूरा भविष्य दांव पर लगा है।"

    वह नागरिक अधिकार केंद्रित लेखन और घटनाओं में शामिल होने का दावा करता है। वह एलजीबीटीक्यू जागरूकता कार्यशाला में एक वक्ता होने का दावा करता है और साथ ही संयोजक, कानूनी सहायता और साक्षरता समिति, प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक सुरक्षित और स्वस्थ पहुंचने में मदद करता है और शिविरों का आयोजन करता है जो वंचितों की मदद करते हैं।

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