मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सीमित मामलों की सुनवाई का दायरा बढ़ाने के निर्देश जारी किये

LiveLaw News Network

5 May 2020 8:36 AM IST

  • मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से सीमित मामलों की सुनवाई का दायरा बढ़ाने के निर्देश जारी किये

    Madhya Pradesh High Court

    COVID-19 के वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण लॉकडाउन घोषित किये जाने के उपरांत, सीमित संख्या में अर्जेंट प्रकृति के प्रकरणों की सुनवाई किये जाने के निर्देश दिनांक 25-03-2020 को जारी किये गये थे।

    इसके पश्चात् लॉकडाउन की अवधि बढ़ने पर पुनः प्रकरणों की सुनवाई के संबंध में निर्देश जारी किये गये हैं किन्तु लंबित मामलों में सुनवाई प्रारंभ नहीं हो पाई।

    मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय एवं राज्य के सभी अधीनस्थ न्यायालयों में 40 दिन से अधिक अवधि से अतिमहत्वपूर्ण एवं अतिआवश्यक प्रकरणों की सीमित सुनवाई वीडियो कान्फ्रेंसिंग के द्वारा की जा रही है, विषम परिस्थिति के कारण लंबे समय से प्रकरणों की नियमित सुनवाई नहीं हो पाई है।

    उक्त स्थिति को देखते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल द्वारा जनहित में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीमित सुनवाई का दायरा बढ़ाते हुए निर्देश जारी किये गये हैं कि अतिआवश्यक मामलों के अतिरिक्त ऐसे मामलों में भी अधीनस्थ न्यायालय वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई करेंगे जो कि अंतिम प्रक्रम पर हैं एवं ऐसे आपराधिक और सिविल मामले जिनमें बिना साक्ष्य अंकित किये केवल अधिवक्ताओं के तर्कों के आधार पर मामलों का निराकरण किया जा सकता है।

    अधीनस्थ न्यायालय, अधिवक्ताओं से मौखिक तर्कों के स्थान पर लिखित तर्क प्रस्तुत करने का अनुरोध भी कर सकेंगे। यह भी निर्देष जारी किये गये हैं कि वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिये समस्त गाइडलाइंस

    एवं नियमों का परिपालन करते हुए भी मामलों की सुनवाई की जाये तथा कर्मचारियों की संख्या भी सीमित रखी जाये।

    मध्य प्रदेश में इन्दौर, भोपाल और उज्जैन में वायरस का अत्याधिक प्रकोप होने के कारण आगामी आदेश तक इन स्थानों पर स्थित न्यायालयों को पूर्व की भांति सीमित सुनवाई का ही निर्देश दिया गया है तथा इन स्थानों पर सिर्फ अतिमहत्वपूर्ण एवं अतिआवश्यक मामलों की सुनवाई वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के द्वारा की जाएगी।

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