मोटर दुर्घटना | मृतक की विधवा को मुआवजे के खिलाफ पुनर्विवाह वर्जित नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

1 April 2023 4:14 AM GMT

  • मोटर दुर्घटना | मृतक की विधवा को मुआवजे के खिलाफ पुनर्विवाह वर्जित नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि पुनर्विवाह मोटर दुर्घटना में मृतक की विधवा को मुआवजा प्राप्त करने से वंचित नहीं करेगा।

    जस्टिस एसजी डिगे ने कहा कि मोटर दुर्घटना मुआवजे के खिलाफ पुनर्विवाह वर्जित नहीं हो सकता,

    “कोई यह उम्मीद नहीं कर सकता कि मृत पति का मुआवजा पाने के लिए विधवा को जीवन भर या मुआवजा मिलने तक विधवा रहना पड़ता है। उसकी उम्र को ध्यान में रखते हुए और दुर्घटना के समय वह मृतक की पत्नी थी, यह पर्याप्त आधार है कि वह मुआवजे की हकदार है। इसके अलावा पति की मृत्यु के बाद मुआवजा पाने के लिए पुनर्विवाह टैबू नहीं हो सकता।

    अदालत ने मोटर दुर्घटना में मृतक की विधवा, जिसने बाद में पुनर्विवाह कर लिया, उसको दिए गए मुआवजे के अवार्ड के खिलाफ बीमा कंपनी की याचिका खारिज कर दी।

    मृतक सखाराम गायकवाड़ की मोटरसाइकिल पर पिछली सीट पर सवार था। वे मुंबई-पुणे राजमार्ग की ओर जा रहे थे जब ऑटो रिक्शा ने बाइक को टक्कर मार दी, जिससे दोनों सवार घायल हो गए।

    इलाज के दौरान मृतक की मौत हो गई। मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल ने उसकी पत्नी और परिवार के दो सदस्यों को मुआवजा देने का आदेश दिया। इसलिए बीमा कंपनी ने ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि मृतक की विधवा मुआवजे की हकदार नहीं है, क्योंकि उसने उसकी मृत्यु के बाद दोबारा शादी की। इसने यह भी तर्क दिया कि आपत्तिजनक रिक्शा चलाने का परमिट केवल ठाणे जिले के लिए था लेकिन यह घटना ठाणे के बाहर हुई। इस कारण चालक ने परमिट की शर्तों का उल्लंघन किया।

    कोर्ट ने कहा कि बीमा पॉलिसी की शर्तों के उल्लंघन और आरटीओ अथॉरिटी द्वारा जारी परमिट की शर्तों के उल्लंघन में अंतर है। अदालत ने कहा कि हालांकि प्लाई का परमिट ठाणे जिले के लिए है, लेकिन यह ड्राइवर को ठाणे जिले के बाहर रिक्शा लेने से नहीं रोकता है।

    अदालत ने कहा कि बीमा कंपनी ने यह साबित करने के लिए किसी भी गवाह की जांच नहीं की कि ठाणे जिले के बाहर रिक्शा ले जाना परमिट का उल्लंघन था और यह शर्तों की नीति का उल्लंघन है।

    अदालत ने आगे कहा कि दुर्घटना के समय मृतक की पत्नी की उम्र केवल 19 वर्ष थी। दावा याचिका के लंबित रहने के दौरान उसने दोबारा शादी की।

    कोर्ट ने कहा कि विधवा से आजीवन या मुआवजा मिलने तक विधवा रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

    अदालत ने कहा कि मृतक के सभी या कोई कानूनी प्रतिनिधि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 166 के अनुसार मुआवजे की मांग कर सकते हैं। इस प्रकार, मृतक की पत्नी के लिए मुआवजे के लिए आवेदन दायर करना कानूनी है, क्योंकि वह दुर्घटना के समय उसकी कानूनी प्रतिनिधि है।

    अदालत ने माना कि तीनों दावेदार कंसोर्टियम राशि के रूप में 40,000/- रुपये के हकदार हैं। इसमें अंत्येष्टि व्यय के लिए 15,000/- रुपये मुआवजा और संपत्ति के नुकसान के लिए 15,000 रुपये शामिल हैं।

    ट्रिब्यूनल ने 70,000/- रुपये अंतिम संस्कार खर्च और सहायता के साथ प्यार और स्नेह की हानि के रूप में देने के लिए कहा। साथ ही अदालत ने दावेदारों को अतिरिक्त 80,000 / - रुपये देने का निर्देश भी दिया।

    केस नंबर- प्रथम अपील नंबर 111/2019

    केस टाइटल- इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम भाग्यश्री गणेश गायकवाड़

    जजमेंट पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story