एक्टर मोहनलाल को हाथी दांत रखने के लिए जारी स्वामित्व प्रमाण पत्र हाईकोर्ट ने किया रद्द

Amir Ahmad

24 Oct 2025 1:33 PM IST

  • एक्टर मोहनलाल को हाथी दांत रखने के लिए जारी स्वामित्व प्रमाण पत्र हाईकोर्ट ने किया रद्द

    केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार (24 अक्टूबर) को फैसला सुनाया कि मलयालम एक्टर मोहनलाल को हाथी दांत रखने के लिए केरल सरकार द्वारा जारी किए गए स्वामित्व प्रमाण पत्र अवैध हैं और कानून में अप्रवर्तनीय हैं।

    जस्टिस ए. के. जयशंकरन नंबियार और जस्टिस जोबिन सेबस्टियन की खंडपीठ ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन्यजीव द्वारा एक्टर के पक्ष में जारी किए गए 16 जनवरी, 2016 और 6 अप्रैल, 2016 के सरकारी आदेशों और स्वामित्व प्रमाण पत्रों को रद्द कर दिया। कोर्ट ने सरकारी आदेशों को शून्य और प्रमाण पत्रों को अवैध और अप्रवर्तनीय घोषित किया।

    कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 44 के संदर्भ में नई अधिसूचना जारी करने के लिए स्वतंत्र है ताकि वैधानिक योजना के अनुसार एक्टर को उस प्रावधान के तहत छूट और लाभ प्रदान किया जा सके।

    आपराधिक मामले के चलते आरोपों पर सुनवाई से इनकार

    हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रमाणपत्र जारी करने की शक्ति के प्रयोग के तरीके से संबंधित तर्कों पर विचार करने से इनकार किया। कोर्ट ने कहा कि वह इस पहलू पर नहीं जा रहा है, क्योंकि इन मुद्दों पर कोई भी निष्कर्ष लंबित आपराधिक कार्यवाही में एक्टर के लिए पूर्वाग्रह पैदा कर सकता है।

    जेम्स मैथ्यू और पॉलोस द्वारा दायर PIL में एक्टर के हाथी दांत के कब्जे को नियमित करने वाले प्रमाण पत्रों को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि हाथी दांत के अवैध कब्जे को पूर्वव्यापी रूप से वैध बनाने के लिए एक्टर को दिए गए प्रमाणपत्र भ्रष्टाचार और मिलीभगत का परिणाम थे।

    जून, 2012 में आयकर विभाग द्वारा मोहनलाल के कोच्चि स्थित आवास पर की गई छापेमारी में दो जोड़ी हाथी दांत जब्त किए जाने के बाद एक्टर के खिलाफ अवैध कब्जे का मामला दर्ज किया गया। उस समय उनके पास इन वस्तुओं को रखने का कोई प्रमाण पत्र नहीं था। इसके बाद वन विभाग ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धारा 50 के तहत उनके खिलाफ मामला दर्ज किया।

    एक्टर ने जनवरी, 2016 और सितंबर, 2019 में सरकार से संपर्क कर दावा किया कि हाथी दांत कानूनी रूप से खरीदे गए और मामले को वापस लेने का आग्रह किया। इसी दावे के बाद उन्हें ये स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी किए गए।

    उल्लेखनीय है कि 2023 में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने एक्टर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा वापस लेने की राज्य की याचिका खारिज की थी।

    हालांकि बाद में केरल हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट का आदेश रद्द कर दिया और मामले को नए सिरे से विचार के लिए वापस भेज दिया।

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