'मोदी चोर' टिप्पणी- ‘पटना कोर्ट में लंबित मानहानि का मामला दोहरे खतरे के सिद्धांत से प्रभावित’: राहुल गांधी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया

Brij Nandan

22 April 2023 9:24 AM GMT

  • मोदी चोर टिप्पणी- ‘पटना कोर्ट में लंबित मानहानि का मामला दोहरे खतरे के सिद्धांत से प्रभावित’: राहुल गांधी ने हाईकोर्ट में हलफनामा दायर किया

    पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) के समक्ष राहुल गांधी की ओर से एक हलफनामा दायर किया गया है जिसमें कहा गया है कि पटना कोर्ट में राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी द्वारा उनकी 'मोदी-चोर' टिप्पणी पर उनके खिलाफ दायर मानहानि का मामला दोहरे खतरे के सिद्धांत से प्रभावित है।

    गौरतलब हो कि मोदी द्वारा पटना कोर्ट में दायर मानहानि के मुकदमे को चुनौती देने वाली राहुल गांधी द्वारा वर्ष 2019 में दायर की गई निरस्ती याचिका में पूरक हलफनामा दाखिल किया गया है। ये डेवलपमेंट पटना कोर्ट द्वारा गांधी को धारा 313 सीआरपीसी के तहत अपने बयान दर्ज करने के लिए 25 अप्रैल को पेश होने के निर्देश के कुछ दिनों बाद आया है।

    गांधी की ओर से AICC के सदस्य कुमार आशीष ने यह हलफनामा दायर किया है, जिसमें कहा गया है कि उन्हें सूरत की अदालत ने उसी टिप्पणी के लिए पहले ही दोषी ठहराया है, जो पटना कोर्ट के समक्ष सुशील मोदी द्वारा दायर मानहानि की शिकायत के केंद्र में है।

    हलफनामे में आगे कहा गया है कि अप्रैल 2019 में करोल में एक राजनीतिक अभियान के दौरान की गई कथित टिप्पणी "सभी चोर मोदी सरनेम क्यों होते हैं" के बाद से, गांधी पर सूरत कोर्ट द्वारा मुकदमा चलाया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया, इसलिए अब यह मामला पटना कोर्ट के समक्ष लंबित है। सीआरपीसी की धारा 300 और भारत के संविधान के अनुच्छेद 20 (2) के तहत प्रतिष्ठापित दोहरे खतरे के सिद्धांत से प्रभावित होंगे।

    संदर्भ के लिए, जबकि अनुच्छेद 20 (2) में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और दंडित नहीं किया जाएगा, धारा 300 (1) सीआरपीसी न केवल एक ही अपराध के लिए बल्कि किसी अन्य अपराध के लिए भी किसी व्यक्ति के मुकदमे पर रोक लगाती है।

    इस संबंध में, हलफनामे में आगे कहा गया है कि इस मामले में तथ्य, कानून के प्रश्न शामिल हैं और आरोपी एक है और एक ही भाषण तत्काल और साथ ही सूरत के मामले में नींव है, बस फर्क इतना है कि दोनों मामलों में शिकायतकर्ता अलग-अलग हैं।

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, हलफनामा मामले को खत्म करने की प्रार्थना करता है।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि इस हलफनामे को दाखिल करते समय गांधी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील अंशुल ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए पटना हाईकोर्ट के जजस्टिस संदीप कुमार के समक्ष मामले का उल्लेख किया। उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए, न्यायमूर्ति कुमार ने मामले को 24 अप्रैल को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

    ये मोदी का मामला है कि गांधी ने 'मोदी' सरनेम वाले लोगों को निशाना बनाते हुए अपमानजनक टिप्पणी की। राहुल गांधी को मामले में वर्ष 2019 में जमानत मिली थी।

    संबंधित खबर में, गुरुवार को सूरत सत्र न्यायालय ने राहुल गांधी के उस आवेदन को खारिज कर दिया जिसमें उनकी कथित टिप्पणी को लेकर मानहानि के मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की गई थी कोर्ट ने फैसले में कहा, राहुल गांधी को शब्दों के चयन में अधिक सावधान रहना चाहिए था, जिसका लोगों के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

    सेशन जज रॉबिन मोगेरा ने ये भी कहा कि गांधी के मुंह से निकला कोई भी निंदात्मक शब्द व्यथित व्यक्ति को मानसिक पीड़ा देने के लिए पर्याप्त है। मौजूदा मामले में ऐसे व्यक्तियों, जिनके 'मोदी' उपनाम हैं, की तुलना चोरों से करने से निश्चित रूप से शिकायतकर्ता यानि भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी को मानसिक पीड़ा होगी और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।



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