बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रायल जज से देरी पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा, नाबालिग की गवाही जल्दी पूरी हो
LiveLaw News Network
9 Feb 2022 4:40 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) के तहत मामलों में ट्रायल कोर्ट को पीड़िता नाबालिग के बयान को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने दो फरवरी, 2022 को पारित एक आदेश में कहा,
"ऐसे मामलों में जहां पीड़ित नाबालिग हैं, पोक्सो कोर्ट को कम से कम पीड़िता/अभियोजन पक्ष की जांच जितनी जल्दी हो सके पूरी करनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि नाबालिग पीड़ित समय बीतने के कारण घटना को भूल जाएं। इससे आरोपी को फायदा पहुंचाता हैं।"
अदालत ने मामले में संबंधित ट्रायल कोर्ट से मुकदमे में देरी होने पर एक रिपोर्ट भी मांगी। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा 2019 में ही मुकदमे में तेजी लाने का आदेश पारित करने के बावजूद केवल एक गवाह से पूछताछ की गई।
अदालत 11 साल की बच्ची के साथ यौन शोषण करने के आरोप में एक आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी ने 2019 में जमानत याचिका दायर की थी। बाद कोर्ट ने जमानत देने में अनिच्छा जताए जाने पर उक्त याचिका को वापस ले लिया गया। हालांकि, उस आदेश में 15 अक्टूबर, 2019 को हाईकोर्ट ने मुकदमे में तेजी लाने को कहा। पहले आदेश के एक महीने बाद एक और जमानत अर्जी दाखिल की गई जिस पर पिछले हफ्ते ही सुनवाई हुई।
जब मामला सुनवाई के लिए आया तो आरोपी के वकील ने दलील दी कि मुकदमे में तेजी आने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई। आरोपी को मेडिकल चेकअप की आवश्यकता है, क्योंकि वह एचआईवी से पीड़ित है। वकील ने मेडिकल पेपर पेश किए और जमानत पर रिहा करने की मांग की।
जब अदालत ने मामले की प्रगति जानने की कोशिश की तो अभियोजक ने अदालत से कहा कि निचली अदालत के समक्ष केवल एक गवाह का ट्रायल हुआ है। इसमें 11 वर्षीय पीड़िता शामिल नहीं है।
अदालत ने तब देखा कि पॉक्सो अदालतों को पीड़ित की जांच करने की कोशिश करनी चाहिए और संबंधित अदालत से रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए।
अदालत ने कहा,
"यह देखते हुए कि मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है, सेशन जज, कोर्ट रूम नंबर 28, ग्रेटर मुंबई से एक रिपोर्ट मांगी जाए, ताकि जज सुनवाई में हुई देरी के संबंध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकें।"
अदालत ने रजिस्ट्री को यह भी निर्देश दिया कि वह संबंधित अदालत को पारित आदेश को टेलीफोन/फैक्स/ई-मेल या एक विशेष संदेशवाहक को तत्काल सूचित करे ताकि जज एक रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकें।
अदालत ने अभियोजन पक्ष को आरोपी की मेडिकल स्टेटस पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया और मामले को 21 फरवरी, 2022 के लिए स्थगित कर दिया।
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