जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पासपोर्ट जारी करने के लिए महबूबा मुफ्ती द्वारा दायर याचिका पर विदेश मंत्रालय और सरकार से 2 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा

LiveLaw News Network

9 March 2021 5:59 AM GMT

  • जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पासपोर्ट जारी करने के लिए महबूबा मुफ्ती द्वारा दायर याचिका पर विदेश मंत्रालय और सरकार से 2 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा

    जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने सोमवार (08 मार्च) को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा पासपोर्ट जारी करने में पुलिस सत्यापन के लिए कथित तौर पर देरी को लेकर दायर याचिका पर विदेश मंत्रालय और सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा।

    वरिष्ठ वकील जहांगीर इकबाल गनाई (मुफ्ती के लिए पेश वकील) ने न्यायमूर्ति अली मोहम्मद माग्रे की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि मुफ्ती ने नए पासपोर्ट के लिए दिसंबर 2020 में आवेदन किया था, क्योंकि उनका पुराना पासपोर्ट 31 मई, 2020 को समाप्त हो गया था।

    न्यायालय के समक्ष प्रस्तुतियाँ

    हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया गया कि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी परिपत्र निर्देशों के अनुसार, किसी व्यक्ति का पासपोर्ट 30 दिनों के भीतर जारी किया जाना है, लेकिन मौजूदा मामले में तीन महीने की अवधि बीतने के बावजूद पासपोर्ट जारी नहीं किया गया है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता ने पासपोर्ट अधिकारी की वेबसाइट पर ट्रैकिंग की सुविधा का लाभ उठाते हुए पासपोर्ट की स्थिति के बारे में पता किया।

    वहां याचिकाकर्ता को पता चला,

    "एसपी कार्यालय, जिला श्रीनगर के तहत संबंधित थाने में फिजिकल सत्यापन के लिए लंबित है।"

    गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट आने से पहले प्रतिवादी संख्या 5/ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को 13 फरवरी, 2021 को पुलिस रिपोर्ट को पासपोर्ट कार्यालय भेजने के लिए संपर्क किया था।

    हालांकि, अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि आज तक पासपोर्ट कार्यालय के उपलब्ध पोर्टल पर याचिकाकर्ता के पासपोर्ट की स्थिति पहले की तरह बनी हुई है।

    अपनी याचिका में याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के जनादेश के संदर्भ में पासपोर्ट रखने का अधिकार है।

    याचिका में कहा गया,

    "याचिकाकर्ता के पक्ष में पासपोर्ट जारी करने में देरी एक ऐसा कार्य है, जो संवैधानिक जनादेश और पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। याचिकाकर्ता के पक्ष में पासपोर्ट जारी करने में देरी होने पर प्रतिबंध लगाने का प्रभाव पड़ता है। याचिकाकर्ता के अधिकार भारत के संविधान द्वारा निहित है, जो उसको विदेश यात्रा की स्वतंत्रता की गारंटी देता है।"

    याचिका में कहा गया है,

    "यहां यह बताना आवश्यक है कि विदेश यात्रा का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में विरासत में मिला है।"

    इस पृष्ठभूमि में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से उत्तरदाताओं को निर्देश जारी करने मांग की, ताकि वह याचिकाकर्ता का पासपोर्ट शीघ्र जारी करे।

    कोर्ट का आदेश

    कोर्ट द्वारा पूछे जाने पर टी.एम. शम्सी, एएसजीआई ने प्रस्तुत किया कि उत्तरदाता संख्या 4 (पासपोर्ट अधिकारी, श्रीनगर) ने पहले ही अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सीआईडी), जेएंडके से जानकारी मांगी है।

    इसके अलावा, मुफ्ती के वकील की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने MEA, क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी और अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस को नोटिस जारी किया।

    उल्लेखनीय रूप से, अदालत ने टिप्पणी की,

    "यह स्पष्ट किया जाता है कि रिट याचिका की पेंडेंसी पुलिस एजेंसी को सत्यापन में तेजी लाने के लिए कोई बाधा नहीं बनेगी।"

    मामले को 23 मार्च, 2021 को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    केस का शीर्षक - महबूबा मुफ्ती बनाम भारत संघ और अन्य। [WP (C) नंबर 382/2021 CM नंबर 1215/2021]

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