मेडिकल छात्र की मौत: तेलंगाना हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में लागू रैगिंग विरोधी उपायों पर रिपोर्ट मांगी

Sharafat

29 Aug 2023 10:24 AM GMT

  • मेडिकल छात्र की मौत: तेलंगाना हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में लागू रैगिंग विरोधी उपायों पर रिपोर्ट मांगी

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार राज्य भर में स्कूल और कॉलेज परिसरों में रैगिंग को रोकने के लिए किए गए उपायों के बारे में एक हलफनामा दायर करने का आदेश दिया है।

    जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस टी. विनोद कुमार की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका में यह आदेश पारित किया। यह याचिका काकतीय मेडिकल कॉलेज (केएमसी) के प्रथम वर्ष के छात्र की जाति आधारित रैगिंग और मौत की घटना के बाद अदालत समक्ष सुनवाईके लिए आई।

    " चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के विद्वान सरकारी वकील हलफनामे पर बताएंगे कि क्या उपरोक्त दिशानिर्देशों (जैसा कि विश्व जागृति मिशन बनाम केंद्र सरकार में निर्धारित किया गया है) का तेलंगाना राज्य में अधिकारियों द्वारा पालन किया जा रहा है।"

    डॉ. धारावत प्रीति एमडी एनेस्थीसिया कोर्स में प्रथम वर्ष की छात्रा थीं और नवंबर 2022 में कॉलेज में शामिल हुईं थीं। वह अनुसूचित जनजाति समुदाय से थीं और उनके सहपाठी सैफ द्वारा उन्हें लगातार परेशान किया जाता था।

    मृतक स्टूडेंट ने मामला विभागाध्यक्ष और स्थानीय पुलिस के सामने उठाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. मृतक छात्रा के पिता ने पुलिस से भी शिकायत की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

    आरोप है कि सैफ ने उसके प्रति नफरत भाव से 21.02.2023 की रात को अन्य छात्रों के साथ मिलकर उसे जहर का इंजेक्शन दे दिया। मृतक को दो अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया, लेकिन निरंतर प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका और केवल 5 दिन बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया।

    याचिकाकर्ता और तेलंगाना राज्य अनुसूचित जनजाति कर्मचारी कल्याण संघ के अध्यक्ष एम. मलैया ने प्रार्थना की थी कि अदालत पुलिस अधिकारियों को इसमें शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने, पारदर्शी जांच करने और उचित मुआवजा और सजा देने का निर्देश दे।

    कोर्ट ने अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया है।

    " विद्वान सरकारी वकील गृह को अपराधियों के खिलाफ पुलिस आयुक्त द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में भी इस न्यायालय को अवगत कराना होगा।"

    रिपोर्ट 2 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जानी है, जिसके बाद मामले को फिर से सूचीबद्ध किया जाना है।


    केस टाइटल : एम. मल्लैया बनाम तेलंगाना राज्य।

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