वैवाहिक क्रूरता : आखिर पुलिस क्यों महिला को उसके पति के घर वापस जाने के लिए मजबूर कर रही है?", इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

8 July 2021 3:27 PM GMT

  • वैवाहिक क्रूरता : आखिर पुलिस क्यों महिला को उसके पति के घर वापस जाने के लिए  मजबूर कर रही है?, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से जवाब मांगा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अलीगढ़ और कासगंज के पुलिस अधीक्षक से स्पष्टीकरण मांगा कि एक महिला को उसके पति द्वारा प्रताड़ित करके उसके ससुराल से बाहर निकालने के बाद पुलिस क्यों उस महिला को उसके पति के घर जाने के लिए मजबूर कर रही है।

    न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की पीठ ने कहा:

    "याचिकाकर्ता प्रथम दृष्टया एक अकेली महिला है, जिसके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है और अब उसे अपने पति के पास वापस जाने के लिए पुलिस सहित उत्तरदाताओं के हाथों उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, जहां वह वैवाहिक क्रूरता का शिकार हो सकती है और हो सकता है कि उसके जीवन को खतरा हो।"

    कोर्ट के सामने मामला

    यह आदेश एक महिला द्वारा दायर याचिका पर आया, जिसने आरोप लगाया था कि उसके पति और उसके रिश्तेदारों ने उसे वैवाहिक घर से बाहर निकाल दिया और अब उसके पति के कहने पर स्थानीय पुलिस द्वारा उसे परेशान किया जा रहा है, क्योंकि वे उसे पति के घर वापस जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

    महिला ने आरोप लगाया है कि उसके पति ने उसे पीटा और वह घरेलू हिंसा, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार हुई। उसने अपने भाइयों और चाचाओं से पति द्वारा दहेज की मांगे जाने और उसके पति द्वारा उसके साथ की गई क्रूरता की शिकायत की, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।

    महिला ने पुलिस स्टेशन दादन, जिला अलीगढ़ में एक लिखित शिकायत भी दर्ज कराई, हालांकि, उसने दावा किया कि अब तो पुलिस ने भी उसे परेशान करना शुरू कर दिया है।

    अंत में उसने आशंका व्यक्त की कि दहेज के लिए उसके पति और उसके रिश्तेदार उसकी हत्या कर सकते हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "याचिकाकर्ता की शिकायत केवल उस अपराध के बारे में नहीं है जिसकी वह पीड़ित या वैवाहिक क्रूरता का शिकार हुई है। उसे उसके वैवाहिक घर से निकाल दिया गया है और उसके भाइयों और चाचाओं द्वारा आश्रय देने से इनकार कर दिया गया है। उसे उन सभी लोगों द्वारा बेसहारा कर दिया गया है जिसे उसकी देखभाल करनी चाहिए थी।"

    मामले को अब आगे की सुनवाई के लिए 9 जुलाई, 2021 को सूचीबद्ध किया गया है।

    केस का शीर्षक - बेबी एंड अदर बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और 6 अन्य

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