काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद| मस्जिद कमेटी की वारणसी कोर्ट में दलील, 'औरंगजेब क्रूर नहीं था, उसने विश्वनाथ मंदिर नहीं तोड़ा'
Avanish Pathak
24 May 2023 4:57 PM IST
वाराणसी की एक अदालत में काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर हो रही सुनवाई में ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने दलील दी कि, "न तो मुगल बादशाह औरंगजेब क्रूर था और न ही उसने वाराणसी में भगवान आदि विश्वेश्वर के किसी मंदिर को तोड़ा था।"
कमेटी ने वाराणसी कोर्ट में हिंदू उपासकों की याचिका के विरोध में आवेदन दाखिल किया है।
परिसर का एएसआई सर्वेक्षण कराने के मुद्दे पर अपनी आपत्ति में मस्जिद कमेटी (अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद कमेटी) ने हिंदू श्रद्धालुओं की दलील का खंडन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भगवान आदि विश्वेश्वर के पुराने मंदिर पर एक मुस्लिम आक्रमणकारी ने हमला किया था और उसे नष्ट कर दिया था। राजा टोंडलमल ने उसी स्थान पर 1580 ई में मंदिर को दोबारा बनवाया था।
कमेटी की ओर से दिए आवेदन में कहा गया है कि वाराणसी में दो काशी विश्वनाथ मंदिरों (पुराने और नए) की कोई अवधारणा नहीं थी।
इसके अलावा, मस्जिद समिति ने मुस्लिम शासकों को आक्रमणकारी कहने पर भी आपत्ति जताई है। कमेटी ने कहा है कि उक्त कथन हिंदू मुसलमानों के बीच नफरत पैदा करने के उद्देश्य से किया गया था।
आवेदन में कहा गया है,
"मौके पर जो ढांचा या इमारत मौजूद है, मस्जिद आलमगिरी / ज्ञानवापी मस्जिद, वहां हजारों साल से है, कल भी मस्जिद थी और आज भी मस्जिद है। वाराणसी और पड़ोसी जिलों के मुसलमान, बिना किसी प्रतिबंध के और अधिकार के रूप में नमाज पंजगाना, नमाज जुमा और नमाज इदान की पेशकश करते रहे हैं।"
गौरतलब है कि मस्जिद कमेटी ने अपने आवेदन में यह भी कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कोई शिव लिंग नहीं मिला है और जिस वस्तु को शिव लिंग बताया जा रहा है, वह वास्तव में एक फव्वारा है।
आवेदन में मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वेक्षण कराने के लिए हिंदू उपासकों की ओर से दायर याचिका को खारिज करने की प्रार्थना की गई है। इसमें कहा गया है कि एएसआई को परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि तस्वीरों को देखकर यह पता लगाया जा सकता है कि विवादित स्थल एक मस्जिद है।
आवेदक कहते हैं कि कानून के तहत यह अनुमति नहीं है कि साक्ष्य को एक आयोग द्वारा या वैज्ञानिक जांच के माध्यम से एकत्र किया जाए।
महत्वपूर्ण बात यह है कि आवेदन में कहा गया है कि विवादित संपत्ति के संबंध में एक मुकदमा सिविल जज (सीडी) एफटीसी, वाराणसी की अदालत में लंबित है, जिसमें अप्रैल 2021 में एएसआई सर्वे का आदेश पारित किया गया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष जिसके खिलाफ एक रिट याचिका दायर की गई, जो विचाराधीन है और जिस पर उपरोक्त दोनों रिटों को पक्षों द्वारा बहस पूरी होने के बाद आदेशों के लिए आरक्षित कर दिया गया है और इसलिए, आवेदन में प्रार्थना की गई है कि ऐसी स्थिति में, एक ही संपत्ति का फिर से उन्हीं बिंदुओं पर एएसआई से सर्वेक्षण कराने का सवाल ही नहीं उठता।
#JustIN | "Neither Mughal emperor Aurangzeb was cruel, nor did he demolish any Adi Vishweshwar Temple in Varanasi": says Gyanvapi Mosque Committee in #VaranasiCourt opposing Hindu Worshippers' Plea For ASI Survey Of Mosque Premises.#GyanvapiCase #GyanvapiSurvey pic.twitter.com/JrfU6qeQ7B
— Live Law (@LiveLawIndia) May 24, 2023