[मैनुअल स्कैवेंजिंग] 'सीवर में मरने वाले दो लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपए का भुगतान करें': हाईकोर्ट ने दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी को निर्देश दिया

Brij Nandan

6 Oct 2022 8:10 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार को दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (DDA) को शहर के मुंडका इलाके में एक सीवर के अंदर जहरीली गैसों के अंदर जाने से मरने वाले दो लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने प्राधिकरण को सफाई कर्मचारी आंदोलन और अन्य बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2014 के फैसले के संदर्भ में आश्रितों के अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर भी विचार करने के लिए कहा है।

    डीडीए को नियुक्ति पर अपने निर्णय को 30 दिनों की अवधि के भीतर सूचित करने का निर्देश देते हुए पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर समय सीमा के भीतर उक्त निर्देश का पालन नहीं किया जाता है, तो प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन सुनवाई की अगली तारीख 14 नवंबर को उपस्थित रहेंगे।

    अदालत ने कहा,

    "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के 75 साल बाद भी गरीब लोगों को हाथ से मैला ढोने वालों के रूप में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है और मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 और उसके नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।"

    पीठ ने कहा कि डीडीए की ओर से दायर की गई अनुपालन रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि दो मृतक श्रमिकों की मृत्यु प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्देशों के बिना मैनहोल की सफाई के दौरान हुई थी।

    पीटीआई की एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, पिछले महीने जिन दो लोगों की मौत हुई, उनमें रोहित चांडिलिया, जो दिल्ली विकास प्राधिकरण के फ्लैटों में स्वीपर के रूप में काम करते थे और अशोक कुमार, जो एक सुरक्षा गार्ड थे।

    समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां चांडिलिया सीवर के अंदर जाने वाले पहले व्यक्ति थे, वहीं जहरीली गैसों के कारण वह बेहोश हो गए। इसके बाद कुमार चंडीलिया को बचाने सीवर के अंदर गए जहां वह भी बेहोश हो गया। दोनों लोगों को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

    हाल ही में, केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि सरकार द्वारा लाई गई विभिन्न पहलों के कारण, सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दुखद दुर्घटनाओं की संख्या में काफी कमी आई है।

    एडवोकेट अमित साहनी द्वारा 2019 में दायर एक जनहित याचिका में केंद्र सरकार द्वारा अपने सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के माध्यम से लघु हलफनामा दायर किया गया था। इसमें सेप्टिक टैंक और सीवर की मैन्युअल सफाई के कारण होने वाली मृत्यु को रोकने के लिए मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के रोजगार निषेध के सख्त अनुपालन की मांग की गई थी।

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