शादी का झूठा वादा करके रेप, पीड़िता को इस्लाम कबूल करने की धमकी का आरोप: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

LiveLaw News Network

7 Jan 2022 11:17 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को पीड़िता से शादी करने के झूठे वादे पर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करके और उसके बाद उसे मुस्लिम धर्म स्वीकार करने की धमकी देकर बलात्कार करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया।

    न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी की खंडपीठ फरहान अहमद (शानू) की जमानत याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने तर्क दिया कि वह निर्दोष है और उसे केवल ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से मामले में झूठा फंसाया गया है।

    क्या है पूरा मामला?

    अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार पीड़िता फेसबुक के माध्यम से आरोपी के संपर्क में आई और आवेदक-आरोपी ने खुद को नगर निगम गोरखपुर में टैक्स निरीक्षक के पद पर कार्यरत बताया।

    कथित तौर पर बातचीत के दौरान उसने शादी का प्रस्ताव रखा और आश्वासन देने के बाद उसने शारीरिक संबंध बनाए।

    हालांकि, जब वह गर्भवती हो गई तो आरोपी ने उसे गर्भ खत्म करने के लिए दबाव डाला और इसके बाद जब पीड़िता ने उससे शादी करने के लिए कहा तो उसने कहा कि जब तक वह इस्लाम स्वीकार नहीं कर लेती, वह उससे शादी नहीं करेगा।

    यह भी आरोप लगाया गया है कि अक्टूबर 2021 में, वह एक लड़की के साथ उससे मिलने आया था। आरोपी ने पीड़िता को गाली दी और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। इसके साछ ही पीड़िता को मुस्लिम धर्म स्वीकार करने की धमकी दी अन्यथा न तो वह उससे शादी करेगा और न ही वह उसे स्वीकार करेगा और मार डालने की धमकी दी।

    इस पृष्ठभूमि में पीड़िता ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 376, 504, 506 और यू.पी. में गैरकानूनी धर्मांतरण का निषेध अधिनियम, 2020 की धारा 3/5 (1) के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई।

    तर्क

    आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया कि कथित घटना एक अज्ञात तिथि और समय पर यानी जनवरी, 2021 के महीने में हुई थी, जबकि उसी घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए बिना किसी स्पष्टीकरण के प्राथमिकी कथित घटना के 10 महीने बाद दर्ज की गई थी।

    आवेदक के वकील का मुख्य तर्क यह था कि यह आपसी सहमति का मामला है। दोनों पक्षकार बालिग हैं और गर्भपात का कोई सबूत नहीं है।

    यह भी तर्क दिया गया कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान में उसने वर्तमान आवेदक के साथ प्रेम संबंध स्वीकार किया है।

    दूसरी ओर, ए.जी.ए. प्रस्तुत किया कि यह समाज के खिलाफ एक जघन्य अपराध है और पीड़ितों के दिमाग पर इसका लंबा प्रभाव पड़ा है। पीड़िता को गंभीर भावनात्मक आघात और शारीरिक पीड़ा से गुजरना पड़ा है।

    अंत में, यह तर्क दिया गया कि शादी का झूठा वादा करने के बहाने पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाना पीड़िता के दिमाग पर दंडात्मक प्रावधानों के प्रभाव के तहत बलात्कार का अपराध है।

    कोर्ट ने मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पक्षकारों के वकील के प्रतिद्वंद्वी तर्क और रिकॉर्ड के अवलोकन और आरोपी के खिलाफ बलात्कार के गंभीर आरोप पर विचार करते हुए इस स्तर पर मामले के मैरिट पर टिप्पणी किए बिना आरोपी को जमानत देने से इनकार किया।

    इसके साथ ही आरोपी फरहान अहमद (शानू) की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई।

    केस का शीर्षक - फरहान अहमद (शानू) बनाम यूपी राज्य सचिव गृह लखनऊ।

    केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एबी) 2

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