ममता बनर्जी ने चुनाव याचिका जस्टिस कौशिक चंदा के अलावा किसी दूसरी पीठ को सौंपने की मांग की; ममता ने जस्टिस चंदा को हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में मंजूरी देने पर भी आपत्ति जताई थी

LiveLaw News Network

19 Jun 2021 3:53 AM GMT

  • ममता बनर्जी ने चुनाव याचिका जस्टिस कौशिक चंदा के अलावा किसी दूसरी पीठ को सौंपने की मांग की; ममता ने जस्टिस चंदा को हाईकोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में मंजूरी देने पर भी आपत्ति जताई थी

    पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को एक पत्र लिखकर अपनी चुनाव याचिका जस्टिस कौशिक चंदा के अलावा किसी दूसरी पीठ को सौंपने का आग्रह किया है।

    एओआर संजय बसु ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से सुवेंदु अधिकारी की चुनावी जीत को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका के संबंध में यह पत्र लिखा है। अब मामले की सुनवाई अगले सप्ताह गुरुवार (24 जून) को होगी।

    पत्र में [मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से एओआर संजय बसु द्वारा लिखित] न्यायमूर्ति कौशिक चंदा के समक्ष उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने का विरोध किया गया है।

    पत्र में लिखा गया है कि,

    "मेरे मुवक्किल को न्यायिक प्रणाली और इस न्यायालय में अत्यधिक विश्वास है। हालांकि, मेरे मन में निम्नलिखित कारणों से न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की संभावना के बारे में एक उचित आशंका है।"

    पत्र में निम्नलिखित कारणों को सूचीबद्ध किया गया है;

    1. मेरे मुवक्किल (ममता बनर्जी) को यह जानकारी मिली है कि उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति कौशिक चंदा 'भाजपा के सक्रिय सदस्य' रह चुके हैं और चूंकि चुनाव याचिका पर फैसले के राजनीतिक निहितार्थ होंगे। इस प्रकार, यदि न्यायाधीश के समक्ष चुनाव याचिका पर सुनवाई होती है मेरे मुवक्किल के मन में प्रतिवादी के पक्ष में और/या मेरे मुवक्किल के खिलाफ न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की एक उचित आशंका होगी।

    2. न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की इसके अलावा कलकत्ता उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में पुष्टि की जानी बाकी है। ममता ने माननीय न्यायाधीश के नाम की कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में मंजूरी देने पर भी आपत्ति जताई थी। मेरे मुवक्किल को लगता है कि न्यायाधीश को इन आपत्तियों के बारे में पता है और इसलिए इस तरह संबद्ध न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका है।

    पत्र में आगे कहा गया है कि चूंकि चुनाव याचिका में प्रतिवादी (सुवेंदु अधिकारी) भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और न्यायाधीश (जस्टिस चंदा) बीजेपी के सक्रिय सदस्य थे। इससे ऐसी स्थिति और धारणा पैदा होगी कि जस्टिस चंदा "अपने ही मामले में न्यायाधीश" के रूप में फैसला सुनाएंगे। इस तरह संबद्ध न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका है।

    पत्र में अंत में कहा गया है कि,

    "न्यायपालिका में जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए चुनाव याचिका दूसरी पीठ को सौंप दी जानी चाहिए।"

    पत्र में महत्वपूर्ण रूप से यह भी उल्लेख किया गया है कि सीएम बनर्जी माननीय न्यायाधीश के नाम की कलकत्ता के माननीय उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में मंजूरी देने पर भी आपत्ति जताई थी और इस तरह संबद्ध न्यायाधीश की ओर से पूर्वाग्रह की आशंका है।

    न्यायमूर्ति कौशिक चंद्र की पीठ ने मामले को पीठ के समक्ष पेश किए जाने के बाद मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध किया है और ममता बनर्जी के वकील सौमेंद्र नाथ मुखर्जी ने पीठ से अगले सप्ताह निर्देश के लिए इसे रखने का आग्रह किया है।

    बेंच ने वकील का अनुरोध को स्वीकार करते हुए रजिस्ट्री को 24 जून को मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। अदालत द्वारा इस बीच एक रिपोर्ट मांगी गई है कि क्या याचिका लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुरूप दायर की गई है या नहीं।

    मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में टीएमसी उम्मीदवार थीं और भाजपा उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं। सुवेंदु अधिकारी ने रोमांचक मुकाबले में ममता को 1,956 वोटों से हरा दिया था।

    ममता बनर्जी की नंदीग्राम सीट पर हार के बावजूद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने चुनावों में जीत हासिल की और लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल में सरकार बनाई।

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